शिक्षा विभाग में शुरू हुई नियम विरुद्ध प्रमोशन पाएं शिक्षकों के खिलाफ जांच,गम्भीर है आरोप क्या हो पाएंगी स्पष्ट जांच
देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने हरिद्धार में नियम विरूद्ध प्रमोशन पाएं शिक्षकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। आपको बतादे कि हरिद्धार जिले के पदम सिंह के द्धारा हरिद्धार जिले के जिला शिक्षा अधिकारी प्रांरभिक रहते ब्रहमपाल सैनी पर शिक्षकों के नियम विरूद्ध प्रमोशन करन के आरोप लगाएं गए थे,नैनीताल हाईकोर्ट में पदम सिंह ने कई आरोप ब्रहमपाल सैनी पर लगाएं थे,जिसके बाद कोर्ट के दबाव पर शिक्षा विभाग ने ब्रहमपाल सैनी को संस्पेड भी करना पड़ा था,और संस्पेड अवधि में ही ब्रहमपाल सैनी सेवानृवित्त भी हो गए है,लेकिन उनके सस्पेंड होने से कुछ दिन पहले उनके द्धारा जारी कि गई प्रमोशन लिष्ट में कई ऐेसे शिक्षकों को प्रमोशन देने के आरोप है,जो प्रमोशन पाने के योग्य नहीं थी,आरोपों के तहत 179 शिक्षकों को नियम विरूद्ध प्रमोशन दिए जाने के आरोप है। शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय के द्धारा मामले की जांच करने के निर्देश दिए गए है। जिसको लेकर तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई। अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा गढ़वाल मंडल एसपी खाली,हरिद्धार जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी आंनद भारद्धाज और खंड शिक्षा अधिकारी हरिद्धार अंबिका राम नियम विरूद्ध प्रमोशन पाएं शिक्षकों के आरोपों की जांच कर रहे है। जिसको लेकर जांच भी शुरू हो गई।
प्रमोशन लिस्ट्ट में लागाएं गए हैं कई गंभीर आरोप
हरिद्धार जिले में हुए नियम विरूद्ध प्रमोशन के आरोप लगाने वाले पदम सिंह ने कई गंभीर आरोप 4 अगस्त 2020 को जारी कि गई प्रमोशन लिष्ट को लेकर लगएं है। जिनमे सूची में मानकों के अनुसार शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत छात्र और शिक्षक के अनुपात का उल्लघंन किए जाने का आरोप लगाया गया है। सूची में आरक्षित विकलांग पदों 4 प्रतिशत की अनुमति भी न लेने के आरोप लाएं गए है,सूची बिना सीनीयरटी के तैयार किए जाने के आरोप लगाएं गए है,इसके अलावा भी कई आरोप सूची तैयार करने को लेकर ब्रमपाल सैनी पर लगाएं गए हैं।
आरोप गंभीर क्या होगी निष्पक्ष जांच
उत्तराखंड के हरिद्धार जिले में नियम विरूद्ध प्रमोशन पाएं शिक्षकों पर लगे आरोपों की जांच शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है,लेकिन सवाल इस बात को लेकर है कि क्या वास्तव में शिक्षा विभाग निष्पक्ष जांच करेगा। और यदि जांच में तथ्य पाएं जाते है तो फिर सेवा निवृत्ति पाएं अधिकारी पर विभाग क्या कार्रवाई कर पाएंगा ये भी सवाल। लेकिन सवाल उससे भी बड़ा पहले ये होता है कि क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पूरे मामले की वास्तव में निष्पक्ष जांच करते है।