जनता के पैंसे की बर्बादी का नमूना,बिना नाला साफ किए हो रहा सौंदर्यीकरण,कांग्रेस सचिव ने रुकवाया काम

देहरादून । सरकारी बजट को ठिकाने कैसे लगाया जाता है,इसका एक उदाहरण देहरादून के शिमला बाईपास के सेंटजूस चौक पर देखा जा सकता है,जहां पीडब्ल्यूडी विभाग के द्धारा 50 लाख के बजट से चैका का सौंदर्यकरण का काम किया जा रहा है,लेकिन सौंदर्यकरण काम अंडर ग्राउंड नाले के उपर कराया जा रहा है,लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि विभाग के द्धारा उस नाले की सफाई नहीं कराई जा रही है,जो कचरे से तो पूरा भरा पडा़ है और बरसात के मौसम में नाला चोक हो जाता है, और बरसात का पानी सड़क पर बहने लगता है,लेकिन बजट को ठिकाने लगाने के लिए इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

कांग्रेस प्रदेश सचिव ने रूवाया काम

वहीं कांग्रेस प्रदेश सचिव सीताराम नौटियाल ने इसका संज्ञान लेते हुए सौंदर्यकरण काम रूकवा दिया है, और मांग की है कि पहले विभाग या नगर निगम नाले की सफाई करवाएं फिर नाले के उपर सौंदर्यकरण का काम करवाएं । इसी को लेकर उन्होंने देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा से फोन पर बात की है,और उनसे भी उन्होंने पहले नाले की साफई कराने और फिर सौंदर्यकरण का काम करने की बात कही है जिस पर मेयर के द्वारा सकारात्मक रुक मिला है।

जेई भी पहुंचे मौके पर
सीताराम नौटियाल के द्वारा जब बिना नाले की सफाई के काम रुकवाया गया तो पीडब्ल्यूडी के जेई भी मौके पर पहुंचे और कहा कि ये ठेकेदार के साथ बांड में तय नही हुआ है कि वह नाले की सफाई भी करेगा,लेकिन नाले की सफाई भी हो इसके लिए वह अपने उच्च अधिकारियों से बात करेंगे।

बड़ा सवाल,कैसे सुलझेगा मामला

राजधानी देहरादून में कई बार देखने को मिलता है जब विभागो के आपसी तालमेल न होने के चलते इसका असर जनता को भुगतना पड़ता है, ताजा मामला आपके सामने जब नाले के ऊपर सौंदर्यीकरण का काम हो रहा है और नाली की सफाई ना हो रही हो तो फिर कचरे से भरे नाले का पानी सड़कों पर वही गई लेकिन ना तो इस और नगर निगम का ध्यान है और ना ही पीडब्ल्यूडी विभाग का केवल जनता के पैसे को ठिकाने लगाने का काम चल रहा है यदि पहले नाले की सफाई हो जाती है और फिर सौंदर्यीकरण का काम होता तो कहा जाता यह जनता के पैसे का सही इस्तेमाल हो रहा है लेकिन कहावत फिट बैठती है ऊंची दुकान फीका पकवान यानी बाहर से नाला ठीक-ठाक दिखेगा लेकिन अंदर उसके कचरा ही कचरा भरा पड़ा है जिससे नाला बरसात में चौक हो जाता है और पानी सड़कों पर बहने लगता है ऐसे काम का क्या फायदा जिसका नुकसान जनता को ही भुगतना पड़े ।

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