शिक्षा विभाग से बड़ी खबर

देहरादून के मुख्यशिक्षा अधिकारी के आदेशों को नहीं मानते कई स्कूल,बड़ा सवाल क्या होगी कार्रवाई

देहरादून।  उत्तराखंड के कई आशासकीय स्कूलों की तानाशाही प्रदेश में इस कदर बढ़ गई है कि उन्हे विभागीय अधिकारियों के आदेशों का भी कोई फर्क नहीं पड़ता है जी हां ये हम नहीं देहरादून की मुख्यशिक्षा अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करने के बाद हम कह रहे है। दरअसल मामला देहरादून के कई आशासकीय स्कूलों में 31 मार्च को प्रधानार्चाय के सेवानृत्त होने को लेकर है। जिसको लेकर कई आशासकीय स्कूलों के साथ स्कूल प्रबंधक को निर्देश जारी किए थे कि जिन स्कूलों में प्रधानाचार्य के चार्ज दिए जाने को लेकर विवाद चल रहा वह विवाद को खत्म करने को लेकर स्कूल के सीनियर शिक्षक को प्रधाचार्य का चार्ज सौंपे ताकि कोई विवाद भी न हो और नियमों को पालन भी हो सके। लेकिन बताया जा रहा है कि जिन स्कूलों को मुख्यशिक्षा अधिकारी ने बकायादा नियम कानूनों को पाठ पढ़ाने के लिए आदेश जारी कर दिया,उन स्कूलांे में से कई ने मुख्यशिक्षा अधिकारी का आदेश माना ही नहीं और स्कूल में तैनात सीनीयर शिक्षक की जगह जूनियर शिक्षक को प्रधानाचार्य का चार्ज सौंप दिया । जिससे स्क्ूलों में विवाद में पैदा हो गया है। उत्तराखंड में फिलहाल लाॅक डाउन के चलते मामला दबा हुआ है,लेकिन बताया जा रहा है स्कूल खुलने पर ऐसे आशासकीय स्कूलों के मैनेजमेंट के खिलाफ विभाग कार्रवाई भी करेगा। सूत्रों की माने तो ऐसे स्कूलों में विभाग प्रशासक बिठाने की तैयारी में है जिन स्कूलों में प्रधानचार्य का विवाद स्कूल प्रबंधक के गलत निर्णय के वजह से पैदा हुआ है। ऐसे में देखना ये होगा कि आखिर शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों और प्रबधंक के खिलाफ कब जाकर कार्रवाई करता है जो स्कूल मनमानी पर उतर आए है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जब अशासकीय स्कूल सरकार के अनुदान पर चल रहे तो फिर मनमानी स्कूल प्रबंधन की क्यों क्या सरकार को इसका संज्ञान नहीं लेना चाहिए। 

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