शिक्षकों ने लगाया सरकार पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप,शिक्षा मंत्री बोले प्रदेश हित में है फैसला

देहरादून। उत्तराखंड में कोविड बढ़ते मामलों को देखते हुए तीरथ सरकार ने तबादला सत्र शून्य कर दिया है। जिससे इस वर्ष होने वाले कर्मचारियों के तबादले इस वर्ष नहीं हो पाएंगे। लेकिन सरकार इसके पीछे तक दे रही हैे कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है,कोविड कफ्र्यू प्रदेश में लगा हुआ। लेकिन सरकार के इस फैसले से कर्मचारी संर्गठनों में रोष भी देखने को मिल रहा है। खास कर शिक्षा संगठन सरकार के इस फैसले से भड़क उठे है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि जो शिक्षक वर्षाें से दुर्गम में सेवाएं दे रहे है और वह इस आश में थे कि इस साल उसका तबादला हो जाएगा। लेकिन सरकार ने ऐसे शिक्षकों के मनसबू पर पानी फेरने का का किया है। राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष केके डिमरी का कहना है कि सरकार के तबादला सत्र शून्य करने के आदेश से वह हैरान है। वह समझ नहीं पा रहे है कि कि सरकार ने ऐसा क्यों किया। पिछले साल भी सरकार ने ऐसा किया था। इस बार पहले 10 प्रतिशत तबादलों को ख्वाब दिखाया गया,और अब वह ख्वाब भी शिक्षकों का तोड़ दिया। पारस्परिक तबदले जो साल भर हो सकते हैं। सरकार ने उन्ह पर भी रोक लगा दी है जो सहीं नहीं है। सरकार कोविड की लहर को देखते हुए कुछ समय के लिए तबादलों को स्थगित कर सकती थी,लेकिन तबादला सत्र शून्य कर सरकार ने सही नहीं किया।

प्राथमिक शिक्षक संघ भी सरकार से खफा

राजकीय शिक्षक संगठन जहां तबादला सत्र शून्य करने से खफा है वहीं प्राथमिक शिक्षक संगठन भी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है। प्राथमिक शिक्षक संगठन के अध्यक्ष दिगविजय सिंह चैहान का कहना है कि सरकार शिक्षकों का मानसिक उत्पीड़न कर रहीं है। क्योंकि जो शिक्षक सालों से इस आस में पूरी तमयता के साथ पढ़ा रहें है,कभी उन्हे भी सुगम में सेवाएं देने का मौका मिलेगा,उनको सरकार के आदेश से झटका लगा है। सरकार चाहती तो प्राथमिक शिक्षकों के ताबदले कर सकती थी,और जब कोराना से स्थिति सामान्य हो जाती जब शिक्षक स्कूलों ज्वाइंनिग कर सकते थे।

कोविड से बड़ी कोई समस्या नहीं 

शिक्षकों की नाराजगी पर शिक्षा मंत्री अरविंद  पांडेय का कहना है कि इस समय सबसे बड़ी समस्या कोविड की समस्या है,इससे कैसे निपटा जाएं इस पर सरकार का ध्यान है,स्कूल बंद है और कब तक ऐसे स्थिति रहेगी ये कहा नहीं जा सकता है। इसलिए पहली प्राथमिकता कोविड महामारी से निपटने की है। प्रदेश हित में सरकार ने ताबदला सत्र शून्य करने के आदेश जारी किए हैं।

कांग्रेस ने सरकार पर उठाएं सवाल

तबादला सत्र शून्य किए जाने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। प्रीतम सिंह का कहना है कि उत्तराखंड के अंदर लग नहीं रहा है कि सरकार नाम की कोई चीज है,कुछ मंत्री पहले अपने विभागों में ट्रांसफर कर चुके है उसके बाद तबादला सत्र शून्य किया गया है। ये सरकार नियत्रंण में नहीं है। नियत्रंण विहीन सरकार है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को तो इस लिए मौन रखना चाहिए प्रदेश सरकार में चल क्या रहा है। एक तरफ सरकार पहले 10 प्रतिशत तबादले करने के आदेश जारी करती है फिर तबादला सत्र शून्य किया जाता है। 

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