10 प्रतिशत तबादलों की मंजूरी पर शिक्षक संगठन ने उठाए सवाल,शतप्रतिशत तबादला न होने से एक्ट को बताया फेल

देहरादून। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने तबादला एक्ट के तहत एक फिर से 10 प्रतिशत तबादलों को करने का निर्णय लिया है। लेकिन शिक्षा विभाग में इसका विरोध भी शुरू हो रहा है। शिक्षक संगठन सरकार के के द्धारा मात्र 10 प्रतिशत तबादले कराएं को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रहे। उत्तराखंड में ट्रांसफर पोस्टिंग में पादर्शिता लाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार तबादला एक्ट तो लेकर आई लेकिन जिस ताबदला एक्ट को सरकार अपनी उपलब्धि बताती है,शिक्षा विभाग के सबसे बड़े संगठन राजकीय शिक्षक संगठन ने उसी ताबदला एक्ट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार की नाकामी की तबादला एक्ट फेल हो चुका है,सरकार महज 10 प्रतिशत तबादलों को कराकर तबादला एक्ट को फेल करने का काम कर रही है। जब से प्रदेश में तबादला एक्ट लागू हुआ है एक भी बार एक्ट के मुताबिक तबादले नहीं हुए है। राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी का कहना है कि सरकार पूरी तहर ताबादला एक्ट को लागू कराने में नाकाम हुई है इसलिए वह सरकार से मांग करते है। एक्ट के मुताबिम शतप्रतिशत तबादले कराएं जाएं।

शिक्षक संगठन की इस बात में कुछ हद तक दम भी नजर आ रहा है कि जब से उत्तराखंड में तबादला एक्ट लागू हुआ है तब से शतप्रतिश तबादले नहीं हो पाएं है,जबकि कोविड की वजह से पिछले वर्ष तबादला एक्ट का शून्य सत्र रहा था। लेकिन क्यों सरकार 10 प्रतिशत तबादले करती है इसके पिछे की वजह खुद शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम बता रहें है। शिक्षा सचिव का कहना है कि यदि शिक्षा विभाग में शतप्रतिशत तबादले हुए तो ट्रांसफर होने वाले कार्मिकों को ट्रांसफर एलाउंसू देना पड़ेगा,लेकिन सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि शतप्रतिशत तबादले होने पर ट्रांसफर एलाउंसू दिया जाएं। 10 प्रतिशत तबादले कराने का निर्णय शासन स्तर पर लिया गया है। कुलमिलकार देखे तो उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार जहां तबादला एक्ट लागू करने को लेकर अपनी पीठ थपथपाने का काम करती हो,लेकिन सच्चाई ये है कि अभी तक एक बार भी सरकार एक्ट के मुताबिक शतप्रतिश तबादले लागू नहीं कर पाई है,जिससे कर्मचारी सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। 

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