जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार ने लिया बड़ा फैसला,अब 4 महीने नहीं साल भर अलर्ट मोड़ पर रहेगा वन विभाग

देहरादून । उत्तराखंड में अब फायर सीजन चार माह का नहीं, बल्कि पूरे साल रहेगा। यानी, वनों को आग से बचाने के लिए वन महकमा सालभर अलर्ट मोड पर रहेगा। वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के मुताबिक राज्य में सर्दियों में भी आग की लगातार बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

उत्तराखंड में फायर सीजन 15 फरवरी से शुरू होकर मानसून की शुरुआत यानी जून तक रहता है। माना जाता है कि इस अवधि में बढ़ती गर्मी के कारण जंगल में आग की घटनाएं अधिक होती हैं। इस बार उत्तराखंड में सर्दी की दस्तक के साथ ही वनों में आग लगनी शुरू हो गई। इसके बाद तो आग लगने का सिलसिला ही चल पड़ा और यह अभी तक थमा नहीं हैं। एक अक्टूबर से लेकर तीन दिसंबर तक के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। इस अवधि में आग की 200 घटनाएं हुई, जिनमें 279.02 हेक्टेयर जंगल तबाह हुआ। गढ़वाल क्षेत्र में वनों में आग लगने की 123 घटनाएं हुई हैं, जिसमें 170.05 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ है। वहीं कुमाऊं में वनों में आग लगने की 77 घटनाएं हुईं, जिनमें 108.87 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ है। गढ़वाल क्षेत्र के अंतर्गत पौड़ी और उत्तरकाशी जिलों में जंगल सर्वाधिक झुलसे हैं। यही नहीं, मौसम का जैसा रुख है, उसे देखते हुए फिलहाल राहत के आसार भी नहीं दिख रहे। ऐसे में चिंता और बढ़ गई है।

वन महकमे ने इस बार सर्दियों में आग की घटनाओं के कारणों की पड़ताल कराई तो बात सामने आई कि अक्टूबर व नवंबर में बारिश न होने से नमी गायब हो गई है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र के वनों में। वहां घास भी सूख चुकी है। हालांकि वन महकमे ने आग बुझाने के लिए तंत्र को सक्रिय करने के साथ ही संसाधन झोंके हैं। वनकर्मियों के साथ ही स्थानीय निवासी इन दिनों आग बुझाने में जुटे हैं। गुरुवार को वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कहा कि वनों को आग से बचाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में फायर सीजन चार माह नहीं, बल्कि पूरे साल भर रहेगा।

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