गंगा नदी में उपखनिज प्रवाहित करने को लेकर,टिहरी डीएम ने लगाया 16 करोड़ का अर्थदंड,लेकिन कम्पनी सरकार के खिलाफ पहुंची कोर्ट

देहरादून। उत्तराखंड में काम करने वाली दिल्ली की इस्पान इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी हमेशा से ही सवालों के घेरे में रही है,लेकिन इस बार इस कम्पनी ने सरकार के खिलाफ जाकर भी काम किया,इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस बार इस्पान इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी पर सरकार बड़ी कारवाई कर सकती है। जी हां टेंडर हासिल कर घटिया निर्माण के लिए हमेशा से सुर्खिर्याें में रहने वाली इस्पान इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी की चालकी इस बार जब टिहरी खनन विभाग और टिहरी की जिला अधिकारी ने पकड़ी तो कम्पनी पर जिला अधिकारी ने 15 करोड़ अठठासी लाख छियालीस हजार दो सौ उन्सठ रूपये का जुर्माना तय कर दिया। लेकिन अभी तक कम्पनी जुर्माना नहीं भर पाई है। बल्कि जुर्मान भरने की वजह कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दायर कर अपने काले कामों को सही साबित करने की अपील कर दी। दरअसल पूर मामला उपखनिज के दुरूपयोग किए जाने और उपखनिज को गंगा नदी में बोल्डर्स प्रवाहित करने को लेकर अर्थदंड कम्पनी पर लगाया गया। कम्पनी ऑल वेदर रोड का काम कर रही थी है,और उस समय जो उपखजिन रोड़ चैडिकरण से उपब्ध हो रहा है,उसे सीधे गंगा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। जो कि नियमों के विपरीत था। यही वजह है कि जो भंडारण उपखनिज का किया जाना था। उसकी जब जांच की गई तो काफी कम पाया गया और कम्पनी पर भारी अर्थदंड लगाया गया है। कम्पनी की यह चालकी सरासर नियमों के विपरीत है। कम्पनी के खिलाफ जिस तरह भारी अर्थदंड लगाया गया है,उसे जिला अधिकारी और खनन विभाग की सरहाना करनी चाहिए। क्योंकि इस तरह की लापरवाही बरतने वाली कम्पनियों पर यही सजा सही माईने में फिट बैठती है। लेकिन जिस तहर अर्थ दंड भरने की वजााय कम्पनी कोर्ट में सरकार के खिलाफ गई उससे कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते है। जिस प्रदेश में कंपनी काम कर रही है उस प्रदेश की सरकार के निर्णय के खिलाफ कंपनी कोर्ट में जा रही है,वह भी तक जब सरकार ने कंपनी के नियमों के विपरित काम करने को लेकर कार्रवाई की हो। उत्तराखंड में कंपनी घटिया निर्माण को लेकर सुर्खियों में रहीं है। देहरादून के मसूरी डार्यवर्जन के सौंदर्यकरण के काम में भारी अनिमियतत्ता कम्पनी के द्धारा बरती गई थी,जिसके खिलाफ भाजपा विधायक खजान दास ने मोर्चा खोला था। वहीं रूद्रप्रयाग जिले में फर्जी दस्तावेज को हासिल कर कम्पनी सड़क निर्माण का टेंडर हासिल करती है,लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता अनिरूद्ध शर्मा की शिकायत पर सरकार के द्धारा टेंडर कैंसिल कर दिया गया। बस फर्जी दस्तावेजों के सहारे टेंडर हासिल करने कोे लेकर सरकार के द्धारा कम्पनी पर एफआईआर दर्ज नहीं की गइ थी। लेकिन इस बार देखना ये होगा कि आखिर करीब 16 करोड़ रूपये की जो पैन्लटी कम्पनी पर लगाई गई है। उसे सरकार किस तरह वसूलती है,और अगर कम्पनी अर्थदंड भरने में कोई आनाकानी करती है तो फिर सरकार क्या एक्शन कम्पनी पर करती है, ये देखना होगा। लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस तरह ला परवाही बरतने वाले लोगों को बख्सते नहीं है। उससे लगता है कि जैसे ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में हमारी खबर के बाद ये मामला जब संज्ञान में आएंगा तो कम्पनी से 16 करोड़ रूपये की वसूलने के निर्देश और अर्थदण्ड न भरने की स्थिति कड़ी कार्रवाई के जरूर निर्देश मिलेंगे। क्योंकि इस तरह की कम्पनियां उत्तराखंड को लूटने का काम कर रही है। इसी कम्पनी का एक और ऐसा कारनामा हम उजागर करने जा रहें। जिसमें कम्पनी ने जीएसटी की भी कर चोरी कर उत्तराखंड में करोड़ रूपये अपनी जेब में भरें है।

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