उत्तराखंड की सियासत छोड़ शिक्षकों के बीच भी मचा हुआ है घमासान,पूर्व अध्यक्ष ने वर्तमान पदाधिकारियों और शिक्षा विभाग पर उठाए कई सवाल,अक्टूबर में ही चुनाव कराने की मांग

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के लिए राजकीय शिक्षक संगठन का चुनाव करना किसी सर दर्द से कम नहीं है, यही वजह है कि राजकीय शिक्षक संगठन का कार्यकाल पूरा होने के बाद विभाग चुनाव नहीं करा पा रहा है, चुनाव कराने को लेकर भी कई गुटों में शिक्षक बंट गए हैं, राजकीय शिक्षक संगठन के निवर्तमान अध्यक्ष केके डिमरी और महामंत्री सोहन सिंह मांजिला गुट के बीच जहां चुनाव कराने को लेकर सहमति बन गयी है, वहीं राजकीय शिक्षक संगठन की पूर्व अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने शिक्षा निदेशक को एक पत्र सौंपकर कई सवाल राजकीय शिक्षक संगठन के निवर्तमान पदाधिकारियों और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए। ज्ञापन में राजकीय शिक्षक संगठन के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के वर्तमान पदाधिकारियों के द्वारा राजकीय शिक्षक संघ के संविधान की गलत व्याख्या कर विभाग शासन एवं सरकार को गुमराह करने का आरोप लगाया है। सेवा संघ की मान्यता नियमावली 1969 के नियम 3 (1) के प्रावधानों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। जिसके संदर्भ में राम सिंह चौहान ने कई बिंदुओं की ओर निदेशक का ध्यान आकर्षित किया है।

राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के संविधान के अनुसार शाखा इकाई का 1 वर्ष,विकासखंड इकाई का 2 वर्ष, जनपद इकाई का 2 वर्ष, मंडल इकाई का 2 वर्ष, एवं प्रांतीय इकाई का 2 वर्ष कार्यकाल निर्धारित किया गया । पर अपरिहार्य करणों से प्रांतीय कार्यकारिणी का कार्यकाल 6 माह एवं 1 साल से विस्तारित किया गया। जिसके तहत संविधान के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने पर स्वतः ही निर्वाचित कार्यकारिणी भंग मानी जाती है, राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के संविधान में स्पष्ट उल्लेखित है कि विद्यालय शाखा के मंत्री के द्वारा प्रत्येक 15 अगस्त तक विद्यालय शाखा का शुल्क लिया जाना है,और 30 अगस्त तक प्रत्येक शाखा को शुल्क प्रेषित कर देना है, अगर 30 अगस्त तक किसी सदस्य का शुल्क जमा नहीं होता है तो वह जनपद विकासखंड को छोड़कर न मंडल स्तर और ना ही प्रांतीय स्तर पर भी मतदान नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त वह किसी पद पर चुनाव भी नहीं लड़ सकता है, यह भी स्पष्ट उल्लेख है। महोदय निवर्तमान कार्यकारिणी के द्वारा जानबूझकर विभाग को संविधान की गलत व्याख्या कर गुमराह किया जा रहा । यदि विभाग द्वारा इनके प्रत्यावेदनों को लिया जाता है या इनके अनुसार कार्रवाई की जाती है तो भविष्य में राजकीय शिक्षक संघ में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।

इसलिए शिक्षक संघ उत्तराखंड की जनपद एवं विकास खंड शाखाओं का कार्यकाल वर्तमान से लगभग 3 वर्ष पूर्व हो गया था। इसके अतिरिक्त अधिवेशन के अवकाश मांगे जाने पर भी विभाग द्वारा अवकाश नहीं दिया गया और उच्च पदाधिकारियों द्वारा कोई प्रतिरोध नहीं किया गया। विभाग द्वारा भी सेवा संघ की मान्यता नियमावली का उल्लंघन किया है जो कि खेद जनक है। प्रांतीय और मंडलीय कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त होने पर विभाग द्वारा अवकाश नहीं दिया गया ना ही कोई स्पष्ट मंतव्य जारी किया गया। विभाग द्वारा कोविड-19 का काल्पनिक हवाला देकर अधिवेशन हेतू अवकाश नहीं प्रदान किया गया। जबकि इस दौरान भारत के कई राज्यों में चुनाव हुए, खाली राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के लिए आपातकाल था जो कि खेद जनक। समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि विभाग द्वारा राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड का कार्यकाल विस्तारित किया गया किंतु लिखित में कोई आदेश नहीं था। सेवक संघ की आचरण नियमावली के अनुसार किसी भी विभाग अध्यक्ष को कार्यकाल विस्तारित करने का अधिकार नहीं है, माना कि कोविड-19 के कारण अधिवेशन ही तो अवकाश नहीं दिया गया। किंतु विशेष परिस्थिति में सेवा संघ का संविधान ही नहीं बल्कि भारतीय संविधान में भी स्पष्ट उल्लिखित है कि स्थिति सामान्य होने तक कार्यकारी रूप में कार्य कर सकती है । नीतिगत मामलों में निर्णय ले सकती और ना ही हस्तक्षेप कर सकते हैं। 11-10- 2021 के समाचार पत्रों से अवगत हुआ कि निवर्तमान पदाधिकारी द्वारा 30 अक्टूबर तक विकासखंड कार्यकारिणी का गठन एवं नवंबर दूसरे सप्ताह में प्रांतीय कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा,उसमे आपकी सहमत दी गई है जो कि उत्तराखंड के आम सदस्यों की भावना के विपरीत एवं संघ की मान्यता नियमावली के विपरीत निर्णय होगा। आपको अवगत कराना चाहता हूं कि नवंबर में प्रांतीय कार्यकारिणी के चुनाव किसी भी दशा में संपन्न नहीं कराए जा सकते हैं, क्योंकि नवंबर प्रथम सप्ताह दीपावली अवकाश, द्वितीय सप्ताह नेट परीक्षा एवं 15 से केंद्रीय बोर्ड द्वारा प्रथम बोर्ड परीक्षा निर्धारित की गई है जिससे हमारे अटल आदर्श विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं अधिवेशन में प्रतिभाग नहीं कर सकती है साथ ही उत्तराखंड बोर्ड के अर्धवार्षिक परीक्षा में भी प्रस्तावित है, जिसके कारण प्रांतीय अधिवेशन कराना संभव नहीं हो सकता है वर्तमान कार्यकारिणी द्वारा जानबूझकर अधिवेशन को टालने के लिए जीवन पर्यटन पदों पर बने रहने के लिए ऐसा समय में निर्धारित किया गया प्रांतीय अधिवेशन हेतु केवल उचित समय महा अक्टूबर है। सदस्यता के नाम पर अधिवेशन को उलझाया जा रहा है इस संदर्भ में आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं कि जब कार्यकारिणी का कार्यकाल पूर्ण हुआ है और सभी स्तर की कार्यकारिणी द्वारा अधिवेशन हेतु अवकाश मांगा गया किंतु किन कारणों से अवकाश नहीं दिया गया यह मालूम नहीं है किंतु सभी स्तर की कार्यकारिणी का शुल्क विधिवत सदस्यों के साथ जमा था,इसलिए राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के सदस्यों की वैधता सेवा संघो की नियमावली के अनुसार पूर्ण है, अभी अवकाश नहीं प्रदान किया गया तो जवाब भी निश्चित विभाग एवं उच्च कार्यकारिणी की आम सदस्य इसके लिए जिम्मेदार नहीं। अतः आपसे निवेदन है कि राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के सभी स्तर की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल काफी समय पूर्व समाप्त हो चुका है, इसलिए इनको राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की संविधान प्रदत्त सुविधाओं को ना तो लेने का अधिकार है ना ही किसी चुनाव कराने का अधिकार है। उक्त के क्रम में आप से अनुरोध है कि सभी निवर्तमान पदाधिकारियों द्वारा शिक्षक संघ उत्तराखंड के संविधान के विपरीत पद एवं पद का दुरुपयोग किया जा रहा है, उसको बंद करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें तथा राज्य स्तर पर शिक्षकों एवं विभाग का एक संयुक्त संयोजक मंडल बनाकर सर्वप्रथम प्रांतीय कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया संपन्न कराने की कृपा करें, साथ ही राम सिंह चौहान ने कहा है कि राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की आम सदस्यों की मान्यता नियमावली के विपरीत अगर कोई निर्णय लिया जाता है तो आम सदस्य उच्च न्यायालय जाने हेतु बाध्य होंगे, कुल मिलाकर देखें तो राम सिंह चौहान अक्टूबर महीने में ही राजकीय शिक्षक संगठन का चुनाव कराने के पक्षधर हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर राजकीय शिक्षक संगठन के चुनाव लेकर जो घमासान छिड़ा हुआ है वह कब जाकर थमता है और कब रात के शिक्षक संगठन के चुनाव होते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!