उत्तराखंड पुलिस के तीन जवान सोशल मीडिया में बटोर रहें हैं सुर्खियां,मानवता के लिए भी मिशाल की पेश

उत्तराखंड : देहरादून पुलिस के तीन ऐसे पुलिसकर्मी जिनके काम की तारीफ सोशल मीडिया पर खूब चर्चाएं बटोरे हुए है उन तीनों पुलिस कर्मियों कहानी को हम आपके सामने लाए जिसकी तारीफ चारो ओर हो रही है । इन तीनों पुलिस कर्मियों ने जो कार्य किया वह इनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता था। बावजूद इसके इन्होंने अपना फर्ज निभाया। करीब 1 महीने पहले कोटद्वार की रहने वाली श्रीमती मंजू देवी पत्नी श्री मंगल सिंह पर्वतीय डिपो की बस में सवार होकर देहरादून के लिए रवाना हुई। देहरादून पहुंचकर जब मंजू देवी ने अपना सामान उतारा तो देखा उनका एक बैग गायब था। जिसके बाद उन्होंने देहरादून पुलिस के इंटेलिजेंस यूनिट में कार्यरत अपने रिश्तेदार सुनील कठैत से संपर्क किया। जिसके बाद सुनील कठैत के द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम 100 नंबर पर फोन किया गया और जोगीवाला पुलिस चौकी में रिपोर्ट भी लिखाई गई।

प्रमोद पेटवाल

मंजू देवी की खत्म हो चुकि थी आस

मंजू देवी को शायद अपने बैग के मिलने की उम्मीद खत्म सी हो गई थी। चिंता इसलिए ज्यादा थी क्योंकि बैग में ₹15000 नगद और करीब डेढ़ लाख रुपए की ज्वेलरी भी थी। ऐसे में एक बुजुर्ग महिला का कीमती सामान अगर गायब हो जाए तो उसकी स्थिति को आप समझ सकते हैं। इसीलिए सुनील कठैत भी शायद चाहते थे, कि कैसे भी करके बैग का पता लगाया जा सके। जिसके बाद उन्होंने इंटेलिजेंस में ही तैनात अपने साथी विजय लिंगवाल से संपर्क किया। जिसके बाद यह दोनों ही पुलिसकर्मी लापता बैग की खोजबीन में लग गए। सबसे पहले इन्होंने महिला के पास उपलब्ध बस के टिकट के आधार पर कंडक्टर से संपर्क किया जिसने बताया कि जोगीवाला के पास एक फैमिली को उतारा गया था जिनके पास करीब चार से पांच बैग थे। शायद उसी फैमिली के पास मंजू देवी का बैग चला गया होगा।

विजय लिंगवाल

राह नहीं थी आसान

मामला इतना आसान नहीं था जो लग रहा था क्योंकि अब उस फैमिली को ढूंढना था जिसके पास शायद वह बैग गया होगा। लाखों लोगों की भीड़ में उस एक फैमिली का पता लगाना भी बहुत आसान नहीं था। इसलिए आप इन दोनों पुलिसकर्मियों ने अपने तीसरे साथी प्रमोद पेटवाल जो उत्तराखंड पुलिस के संचार विभाग में दारोगा के पद पर तैनात हैं उनसे संपर्क किया। जिसके बाद पुलिस कंट्रोल रूम में जाकर सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। सीसीटीवी फुटेज में देहरादून के जोगी वाला क्षेत्र के फुटेज देखे गए जिसमें दिखाई दिया कि बस से एक फैमिली उत्तरी और उसके बाद उन्होंने एक आटो हायर किया। यानी यह साफ हो गया था कि इस ऑटो के जरिए ही यह फैमिली गई और महिला मंजू देवी का बैग भी इसी में चला गया। सीसीटीवी में ऑटो की फुटेज बहुत साफ नहीं थी ऐसे में जोगीवाला के कुछ अन्य दुकानों के भी सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए जिसमें ऑटो का धुंधला नंबर नजर आया लेकिन इससे भी पता लगाना बहुत आसान नहीं था। 

इस तरह हुई राह आसान

ऐसे में यह तीनों पुलिसकर्मी ऑटो यूनियन के अध्यक्ष राम सिंह से मिलने पहुंचे जिसने फुटेज के आधार पर बताया की ऑटो बॉडी को देखने से बजाज या मैक्स का प्रतीत होता है और देहरादून में करीब 60 से 70 ऐसे ऑटो चलते हैं ऐसे में इन 60 से 70 ऑटो में से उस ऑटो को खंगालना बड़ा मुश्किल है जिसमें मंजू देवी का सामान चला गया था। राम सिंह ने इन तीनों पुलिसकर्मियों को कहा कि देहरादून के मुख्य स्वास्थ्य अधीक्षक के कार्यालय के बाहर एक ऐसा वर्कशॉप है जहां इस तरह के ऑटो ठीक होने के लिए आते हैं ऐसे में यह तीनों पुलिसकर्मी वहां भी जांच के लिए पहुंचे लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लग पाई।।।

ऑटो यूनियन से भी ली मदद

जिसके बाद इन तीनों पुलिसकर्मियों ने ऑटो की जानकारी से संबंधित सर्कुलर जारी किया ऑटो यूनियन के जरिए भी सर्कुलर जारी किया गया और पुलिस के द्वारा भी अपने-अपने क्षेत्रों में सर्कुलर जारी किया गया जिससे यह पता चल पाए कि आखिर यह ऑटो ड्राइवर कौन है और यह फोटो किसका है। कुछ घंटों के बाद ही यह जानकारी पता चली कि यह ऑटो क्लेमनटाउन क्षेत्र का है । जिस दिन महिला कोटद्वार से देहरादून आई उस दिन ऑटो ड्राइवर अपने ऑटो में सीएनजी भरवाने के लिए देहरादून के मियां वाला चौक के सीएनजी पंप में पहुंचा था। और वापसी में लौटते हुए उसे जोगीवाला में सवारी मिली जिसे छोड़ने वह देहरादून के डोभाल चौक पहुंचा।

24 घण्टे के भीतर पा लिया मुक़ाम

अब पुलिस को शायद इस मामले में उम्मीद की किरण दिखने लगी थी, क्योंकि ऑटो ड्राइवर उनको डोभाल चौक में उसी क्षेत्र में ले गया जहां उसने सवारी को छोड़ा था और इत्तेफाक से जिस जगह पर छोड़ा था वही उस व्यक्ति से भी मुलाकात हुई जिसने ऑटो को हायर किया था। पुलिसकर्मियों ने अपना परिचय दिया और कहा कि शायद भूलवश आपको एक एक्स्ट्रा बैग मिल गया था। जिस पर उस व्यक्ति ने कहा कि हां मैंने बहुत देर तक वहां देखा था लेकिन बैग लेने के लिए कोई नहीं मौजूद था। बैग में खीरा कद्दू और पहाड़ी सब्जी थी जो व्यक्ति के परिवार ने शायद प्रयोग कर ली थी। जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने बैग दिखाने को कहा और जब बैग को देखा गया तो बेड के नीचे की जगह में ₹15000 और पूरे जेवरात मौजूद थे । मंजू देवी ने शायद बैग में अपने पैसे और जेवर छुपाकर रखे थे जो शायद उस व्यक्ति को नजर नहीं आए। व्यक्ति ने कहा कि उसका इरादा दूसरे का बैग लेने का नहीं था लेकिन जब बैग लेने कोई मौजूद नहीं था तो इसलिए वह बैग लेकर अपने घर आ गया था।मंजू देवी को जब उनकी नगदी और जेवर मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था । इस बैग में उनके बीपी नापने की मशीन और शुगर चेक करने की मशीन भी थी । उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि जिस देहरादून में लाखों लोग रहते हैं वहां उनका सामान देहरादून पुलिस के तीन पुलिसकर्मियों की मेहनत और सूझबूझ से वापस भी मिल सकता है। वह भी तीनों पुलिसकर्मियों ने 24 घंटे से कम के समय में  तमाम खोजबीन  के बाद उस मंजिल को पा लिया जो उन्हें खुद असंभव थी लग रही थी। 

सुनील कठैत

पुलिस पर बढ़ता है ऐसे कामों से विश्वास

देहरादून पुलिस हमेशा से हाईटेक रही है इसमें कोई दो राय नहीं है । क्योंकि कई जगह सीसीटीवी कैमरे मौजूद हैं और कई बार सीसीटीवी कैमरों से ही हर घटना का खुलासा भी हुआ है। लेकिन विजय लिंगवाल, प्रमोद पटवाल और सुनील कठैत इन तीनों पुलिसकर्मियों की तारीफ होनी चाहिए। क्योंकि इनका काम किसी का सामान बरामद कराना नहीं है । लेकिन तीनों ने अपने इस काम को बखूबी अंजाम दिया और मंजू देवी के पैसे और जेवरात उन्हें बरामद करके दिलाए। कुछ लोग सोचेंगे कि उत्तराखंड पुलिस के तीनों जवानों ने अपने काम के तहत ऐसा किया है लेकिन हम आपको बता दें, कि इन्होंने अपने काम से हटकर यह काम किया है। और मानवता के नाते देखा जाए तो उनके काम को जरूर सराहना मिलनी चाहिए। साथ ही अगर बात पुलिस की करें तो ऐसे कामों से आम जनता का पुलिस के प्रति विश्वास हर ज्यादा बढ़ जाता है।

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