उत्तराखंड : शिक्षकों के ट्रांसफर नियमवाली की भ्रांति को लेकर बड़ा अपडेट,राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष ने ज्ञापान के माध्यम से स्थिति की स्पष्ट,एक्ट में बदलाव का दिया सुझाव

देहरादून।  उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर है उत्तराखंड शिक्षा विभाग में जहां शिक्षकों के लिए नई तबादला नियमावली को लेकर समिति का गठन किया गया है वहीं शिक्षकों में फैली भ्रांति को लेकर समिति के सदस्य और पूर्व राष्ट्रय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कुछ बिंदुओं को लेकर एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है जिसमें शिक्षकों की मांग के अनुरूप कुछ बिंदुओं को लेकर ध्यान आकर्षित किया गया है। जिसमें राजकीय शिक्षक संगठन के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने नई नियमावली की जगह तबादला एक्ट में ही कुछ बिंदुओं को लेकर संशोधन की मांग की है, क्या कुछ मांग उन्होंने की है वह इस प्रकार है।

 

निवेदन है कि आदरणीय महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड के दिशा निर्देशन में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण द्वारा विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड हेतु अन्य विभागों से भिन्न एक स्थानांतरण नीति का ब्रज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया। जिसमें मुझे भी उक्त समिति में एक सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया। महोदय चूँकि मैं एक शिक्षक प्रतिनिधि रह चुका हूँ,और आपके मार्ग निर्देशन में जो स्थानांतरण Draft तैयार किया गया और विभिन्न सगठनों के पदाधिकारियों की सहमति के पश्चात् सार्वजनिक रूप से उत्तराखण्ड के शिक्षिकाओं के मध्य सुझाव हेतु दिशा निर्देश दिए गये और मैं व्यक्तिगत रूप से बहुतायत शिक्षक-शिक्षिकाओं के मन की बात जो मैं समझ सका आपके संज्ञान में प्रस्तुत कर रहा हूँ। 

1- मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि Draft को सार्वजनिक करने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेस होनी चाहिए थी और एक-एक बिन्दु को स्पष्ट करना चाहिए था, क्योंकि विभिन्न समाचार पत्रों पोर्टल समाचारों में अलग-अलग ढंग से विचार व्यक्त किये गये जिसके कारण शिक्षक शिक्षिकाओं के मध्य भ्रम की स्थिति पैदा हुई।

2- अद्यतन तिथि तक सोशल मीडिया, Whatsapp ग्रुप, व्यक्तिगत वार्तालाप,लिखित दस्तावेज में सुझाव के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ अभी तक विद्यालयी शिक्षक शिक्षिकाओं ने वर्तमान में बनाई गये Draft पर अपनी सहमति नही दी गई है, बल्कि विरोध किया है। जो स्थानांतरण अधिनियम वर्तमान में धारित है उसी को सही किया जाय।

3 – आदरणीय महोदय, मैं व्यक्तिगत विवेचना के आधार पर अभी तक विद्यालयी शिक्षक शिक्षिकाओं के मनोभावों समझ पाया उसके अनुसार इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि जब यह स्थानांतरण नीति विद्यालयी शिक्षा में सुधार के लिए बनाई
जा रही है लेकिन यह नीति विद्यालयी शिक्षक शिक्षिकाओं को स्वीकार्य नहीं हैं + और अधिकतर शिक्षक शिक्षिकाओं का मानना है कि एक्ट सही है उसी में सुधार किया जाय, तो हम क्यों न शिक्षक शिक्षिकाओं के मनोभावों को समझते हुए समिति के सदस्यों के द्वारा फिर से एक बार समीक्षा कर शिक्षक शिक्षिकाओं के मंतव्य को शासन के समक्ष रखा जाए। आदरणीय महोदय समिति के सदस्य एवं भूतपूर्व शिक्षक कारण मैं जिस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ वह निम्नवत है।


1- उत्तराखण्ड मे गतिमान स्थानांतरण अधिनियम को ही सर्वथा माना जाए और उसमें ही Draft के महत्वपूर्ण सन्दभों को जोड़ा जाए।

2- उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार विद्यालयों का कोटिकरण ABCDEF के आधार पर किया जाए।

3-शिक्षक- शिक्षिकाओं की
औसत सेवा आयु 30 से 32 वर्ष मानी जाए और 5 वर्ष के रूप में चक्रवार प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए।

4- छूट वाले शिक्षक- शिक्षिकाओं के लिए स्पष्ट नियम बनें,उदाहरण के लिए अभी तक कुछ लोगों को सीधी छूट दी गई है। जबकि विधवा- विधुर को सीधी छूट नही दी गयी है। जो न्याय संगत नहीं है।

5- पारस्परिक स्थानांतरण समान श्रेणी में हो जिससे पारस्परिक स्थानांतरण के रूप में हो रही धांधलियों को रोका जा सके।

6- पारदर्शिता के लिए कान्उसिलिंग प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए तथा अनिवार्य स्थानांतरण के पश्चात् रिक्त पदों के सापेक्ष 100 प्रतिशत अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण हों।

7- किसी भी छूट का लाभ सम्पूर्ण सेवाकाल में एक बार मिलें।

8- एन०सी०सी० प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक शिक्षिकाओं का स्थानांतरण उन्हीं स्कूलों में हो जहाँ एन०सी०सी० हो ।

9- अकादमिक लाभ दिए जाने की अवस्था में व्यायाम, कला अथवा जिन विषयों में सीधा मूल्यांकन नही किया जाता उनका आन्तरिक मूल्यांकन विद्यालय
स्तर पर किया जाए।

10- अटल विद्यालयों की अलग से स्थानांतरण नियमावली बना कर एक्ट में समाहित किया जाए तथा अटल स्कूलो की मान्यता के समय शिक्षक- शिक्षिकाओं के लिए जिन मानकों का निर्धारण किया गया था उसका अनुपालन
किया जाए।

अतः महोदय से निवेदन है कि शिक्षक शिक्षिकाओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए नई स्थानांतरण नीति के स्थान पर एक्ट में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को समाहित कर उपरोक्त सुझावों को सम्मिलित करने की महति कृपा करेंगें। यह विचार केवल मेरे नहीं बल्कि शिक्षक समुदाय के बीच से उभर कर
आए है।

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