उत्तराखंड: अशासकीय स्कूल को नहीं कोरोना का खौफ,शिक्षक नेता के ट्रांसफर के लिए लॉक डाउन कर दिया उल्लंघन, विभाग ने मामले का लिया संज्ञान
देहरादून। कोराना वायरस के चलते जहां पूरे देश को लाॅक डाउन कर दिया गया है। वहीं भारत ही नहीं पूरा विश्व इस समय कोराना वायरस महामरी से निपटने के उपायों को अपना रहा है,लेकिन उत्तराखंड शिक्षा विभाग के अधीन कई अशाकीय स्कूलों को न तो कोराना का कोई खौफ है और न ही देश के प्रधानमंत्री की अपील और राज्य सरकार के द्धारा जारी किए गए आदेशों का,जी हां आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे है,लेकिन हम आपको समझाते है कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे है, जी हां पूरा देश जहां प्रधानमंत्री की लाॅक डाउन अपील का पालन कर रहा है वहीं उत्तराखंड के आशाकीय स्कूल अपने चहिते शिक्षकों को को ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल लाॅक डाउन के बीच भी खेल रहा है जो सरकार के आदेशों की अवहेलना है,एक तरह कोराना के चलते जहां सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों को लाॅक डाउन करने के निर्देश जारी किए हुए है,साथ ही प्रदेश की बोर्ड परीक्षा तक स्थगित कर दी है। वहीं राजधानी देहरादून के आशाकीय स्कूल महेश्वरानंद इंटर काॅलेज माजरा और अम्बावती दून वेली पब्लिक स्कूल पडिंतवाडी एक शिक्षक नेता की रिलीविंग और ज्वाइंन के लिए लाॅक डाउन के बावजूद खोल दिया गया है। जिसकी परमिशन मुख्य शिक्षा अधिकारी से लेना भी उचित नहीं समझा गया । ऐसेे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दोनों स्कूलों को ऐसी क्या आन पड़ी थी जब देश भर में लाॅक डाउन है और स्कूल लाॅक डाउन के बीच खोले जा रहे है। गौर करने वाली बात ये है कि ज्वाइंनिग के पिछे न तो छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने वाले कोई मुख्यबात है और न ही इन दिनों स्कूल का कोई ऐसा काम जो शिक्षक नेता की ज्वाइन करने से कोई फायदा स्कूल को हो रहा है क्योंकि जब स्कूल बंद है तो फिर ज्वाइंग कि ऐसे क्या जल्दी जो स्कूल मैनेंजमेंट पर भी सवाल खड़े कर रही है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी ने लिया संज्ञान
पूरे मामले को लेकर जब हमने देहरादून की मुख्यशिक्षा अधिकाराी आशा रानी पैन्यूली से बात की तो उन्होने कहा कि उन्हे इस बात की कोई जानकारी नहीं है,मीडिया के माध्यम से उन्हे ऐेसे जानकारी मिली है। लेकिन इतना वह कहना चाहती है कि जैसे की उनके पास विभागीय स्तर से मामला पहुंचेगा वह कारण बाताओं नोटिस इस मामले पर जारी करेंगी कि आखिर ऐसा क्यों किय गया। मुख्यशिक्षा अधिकारी का कहना है कि अगर वास्तव में स्कूल खुला है तो इसकी परमिशन उनसे नहीं ली गई है।
स्कूल मैनेजमेंट की भूमिका सवालों के घेरे में
आपको बतादे कि अशासकीय स्कूलों की पूरी कमाना स्कूल प्रबंधन के पास होती है। बिना स्कूल प्रबंधन के स्कूल में पत्ता तह नहीं हिलता है। ऐसे में लाॅक डाउन के बीच स्कूल खुलने की पिछे माना जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन का हाथ है। बताया जा रहा है कि दोनों स्कूल की बीच सांठगांठ की वजह से लाॅक डाउन के बीच स्कूल खुले। ऐसे में पूरे मामले की जांच होना आवश्य है कि किसके इशारे पर लाॅक डाउन का उल्लघंन दोनों स्कूलों के द्धारा किया गया है। हालांकि मामला शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से भी जुड़ा हुआ है जिनकी शय पर ये सब हुआ है,ऐसे में देखना ये होगा कि आखिर कड़क शिक्षा मंत्री, कड़क शिक्षा सचिव और मुख्यशिक्षा अधिकारी सरकार के आदेशों की अवहेलना करने का संज्ञान लेते है।