शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोके जाने को लेकर आंदोलन की चेतावनी,जब स्कूलों में नहीं होंगे शिक्षक तो फिर कैसे पढ़ेंगे और कैसे आगे बढ़ेंगे छात्र

देहरादून। उत्तराखंड के अशासकीय स्कूलों में चल रही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने का माध्यमिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है. प्रदेश के कई जनपदों के जिलाध्यक्ष एवं जिला मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक में सभी पदाधिकारियों ने इसे अशासकीय विद्यालयों के खिलाफ एक सोची समझी साजिस एवं षडयन्त्र बताया है, उन्होंने कहा कि सरकार के जितने भी नियुक्ति आयोग हैं सभी में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो चुका है तथा सरकार द्वारा पूर्व में बनाये गये नियुक्ति आयोग ही सरकार द्वारा संभल नहीं रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति के लिये भर्ती आयोग बनाये जाने के नाम पर बार-बार अशासकीय शिक्षकों की भर्ती कभी अघोषित, मौखिक तथा कभी लिखित रोक लगाई जा रही है जिस से इन विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को उसका नुकसान उठाना पड़ रहा है,जिस की अशासकीय विद्यालयों में पूर्व से ही शिक्षको की भर्ती के एक चयन समिति का प्राविधान है जिस में पाँच सदस्यों में से तीन सदस्य सरकार के प्रतिनिधि ही होते हैं, साथ ही साक्षात्कार में शैक्षणिक अंकों की मेरिट के आधार पर टॉप सात
अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाता है इतना ही नहीं साक्षात्कार की वीडियोग्रॉफी भी बनायी जाती है जिस के आधार पर परीक्षा के उपरान्त ही विभाग के द्वारा चयनित अभ्यर्थियों का अनुमोदन किया जाता है। इस सम्बन्ध में कई
बार शिकायतों की जाँच भी हो चुकी है लेकिन किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई है। पी०टी०ए० शिक्षकों की
नियुक्ति पर उठाये जा रहे सवालों पर पदाधिकारियों ने कहा कि बार बार नियुक्तियों पर रोक लगाये जाने के कारण ही अभिभावक संघ के द्वारा विद्यालय में पठन पाठन की व्यवस्था बनाये जाने के लिए पी०टी०ए० शिक्षकों की भर्ती की जाती है जन्हें विभाग द्वारा समस्त नियुक्ति प्रक्रिया एवं प्रमाण पत्रों की जाँच करने के उपरान्त ही सरकार के निर्देशानुसार मानदेय,
तदर्थ नियुक्ति एवं नियमित किया जाता है। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के साथ पहले ही छात्र छात्राओं को टैबलेट, गणवेश, प्रयोगशाला एवं खेल सामग्री तथा किसी भी प्रकार के निर्माण हेतु धनराशि न देकर सरकार सौतेला व्यवहार करती आ रही है और अब सबसे मूलभूत शिक्षकों की समस्या को भी नियुक्तियों पर रोक लगाकर बढानें का कार्य किया जा उत्तराखण्ड माध्यमिक शिक्षक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि अशासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाई गई तो संगठन इस का कड़ा विरोध करेगा तथा आन्दोलन के लिए बाध्य होगा । बर्चुवल बैठक में जिला अध्यक्ष देहरादून संजय बिजल्वाण, जिला मंत्री अनिल नौटियाल, जनपद टिहरी के जिलाध्यक्ष महादेव मैठानी, जनपद अल्मोडा के जिलाध्यक्ष गणेश भटट, मंत्री कैलास पाण्डे, बागेश्वर के जिलाध्यक्ष कैलास अण्डोला मंत्री प्रकाश कालाकोटी, जनपद नैनीताल के जिलाध्यक्ष पी०सी० जोशी एवं मंत्री शैलेन्द्र चौधरी उपस्थित रहें।

आशसकीय स्कूलों के छात्रों से हो रहा है खिलवाड़

उत्तराखंड के शासकीय स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने को लेकर जब-जब विज्ञप्ति की बारी और पदों को भरने की बारी आती है, तो सरकार बार-बार रोक लगा देती है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार जो छात्र अशासकीय स्कूलों में पढ़ रहे हैं,और उनकी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों की बात करें या शिक्षकों की नियुक्ति की बात करें। जब अशासकीय स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो फिर कैसे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। उत्तराखंड की राजकीय स्कूलों में जहां शिक्षकों के रिक्त पदों पर गेस्ट टीचरों के माध्यम से सरकार शिक्षकों के पदों को भरने का काम करती है तो ऐसे में अशासकीय स्कूलों में गेस्ट टीचरों की भी तैनाती नहीं की जाती है, जिससे कई स्कूलों में सालों से पद खाली पड़े हुए हैं,लेकिन जब उन्हें भरने की बारी आती है तो सरकार के द्वारा रोक लगा दी जाती है। सवाल यह भी उठता है कि जब से उत्तराखंड में 2017 से भाजपा की सरकार आई है तो पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने दावे के साथ कई बार यह कह दिया है, कि अशासकीय स्कूलों में भर्ती को लेकर जो भ्रष्टाचार होता था, उसे उन्होंने समाप्त करने का काम किया है, लेकिन सवाल है कि अगर अब अशासकीय स्कूलों में धांधली के चलते भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जा रही है तो फिर क्या उन दावों का होगा, जिसमें पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे इस बात को कहते थे, कि 25 नवंबर के इंटरव्यू को उन्होंने खत्म करने का काम किया है और टॉप 7 की मेरिट को लागू किया है, शिक्षा विभाग को यदि वास्तव में यह लगता है कि अशासकीय स्कूलों में भर्ती के तरीके में ही हमेशा धांधली रहेगी तो फिर आज तक क्यों शिक्षा विभाग के द्वारा ऐसा फार्मूला भर्ती को तैयार नहीं किया गया,जिस पर सवाल न उठे। लेकिन लगता है कि अशासकीय स्कूलों के साथ भेदभाव हो इसलिए इस तरीके के आरोपों को भी बार-बार लगाया जाता रहा है, अशासकीय स्कूलों में भर्ती में धांधली के आरोपों को लेकर कम ही देखने को मिलता है कि कोई मैनेजमेंट या अधिकारी धांधली के रूप में पकड़ा गया हो तो फिर आरोपों के दम पर हर बार भर्ती को टाल देना क्या अशासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के साथ अन्याय नहीं हैं।

 

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