सल्ट विधानसभा सीट पर कांग्रेस क्यों हुई चारों खाने चित,क्या है सल्ट में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह,पढ़िए पूरी खबर

देहरादून। सल्ट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत से कांग्रेस की अंतकलह की पोल भी खुल गई है। कांग्रेस सल्ट विधानसभा उपचुनाव हारी है तो उसकी वजह कांग्रेस के अंदर गुटबाजी ही है। क्योंकि 2017 के मुकाबले जीत के अंतर को कम करने की बजाय कांग्रेस की गुटबाजी ने जीत के अंतर को बहुत बढ़ा दिया है। जिससे अब कांग्रेस पर सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर जिस उपचुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश प्रभारी और यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री का कोविड में उचार कराने के दौरान अस्पताल से मार्मिक अपील करने के साथ ही प्रचार के अंतिम दिन चुनावी रैली में उतराना पड़ा उसके बाद भी कांग्रेस सल्ट में चारों खाने चित हो गई। लेकिन इस सब के पीछे क्या वजह है ये भी हम आपको बातते है। दरअसल सल्ट में कांग्रेस के भीतर जबरदस्त टक्कर टिकट हासिल करने को लेकर थी,जिससे गंगा पंचोली ने हासिल कर लिया। टिकट तो गंगा पंचोली ने हालिस कर लिया लेकिन गंगा न तो अपनी गंगा पार लगा पाई और न ही पार्टी की । गंगा पंचोली के चुनाव हारने से कई सवाल खडे हो रहे है। जो इस प्रकार हैं।

क्या प्रीतम सिंह का कमजोर नेतृत्व कांग्रेस को भारी पड़ रहा है,जिनके नेतृत्व में कांग्रेस अभी एक भी चुनाव जीत नहीं पाई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हालत प्रीतम सिंह के नेतृत्व में ही हुई। तो 3 उपचुनाव भी कांग्रेस ने प्रीतम सिंह के नेतृत्व में हारे, तो सवाल प्रीतम सिंह पर उठना भी लाज्मी है कि आखिर हार पर हार का सिलसिला प्रीतम सिंह कब तोड़ पाएंगे।

हरदा का मैजिक भी हो गया फिका,जी हां उत्तराखंड कांग्रेस में अगर सबसे बड़ा किसी का कद और चेहरा है तो वह हरीश रावत का ही है,ऐसे में सवाल हरीश रावत के चेहरे पर भी उठ रहा है,कि क्या वोटरों पर हरदा का असर अब फीका हो गया है। सल्ट उचचुनाव में जिस तरह हरीश रावत की अस्पताल से की गई मार्मिक अपील कोई ज्यादा असर देखने को नहीं मिला,और प्रचार के अंतिम दिन मैदान में उतरे हरदा का जादू वोटर पर नहीं चला उससे सवाल उठ  रहे है कि क्या हरीश रावत का जादू उत्तराखंड में मतदाताओं पर फीका पड़ गया है।

क्या रणजीत रावत बने हार की सबसे बड़ी वजह,जी हां ये वह सबसे अहम सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस को देना ही पड़ेगा कि आखिर सल्ट में हार की सबसे बड़ी वजह रणजीत रावत है,जो इस समय कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी है,और स्टार प्राचरकों की सूची में रणजीत रावत का भी नाम सल्ट उपचुनाव में था,लेकिप रणजीत रावत प्रचार करना दूर पूरे चुनाव से ही दूर रहंे,यहां तक कि रणजीत रावत वोट करते तक सल्ट चुनाव में नहीं गए,जिससे सवाल रणजीत रावत पर भी उठता है कि आखिर जिस पार्टी से वह दो बार सल्ट से विधायक रहें हो उसी पार्टी के प्रत्याशी के लिए वह वोट डालने नहीं गए। इसलिए सल्ट में हार की कोई सबसे बड़ी वजह अगर सल्ट में कांग्रेस के लिए है तो वह रणजीत रावत ही है।

लेकिन जब हमने रणजीत रावत से सल्ट उपचुनाव में हार की वजह पूछी तो रणजीत रावत को दो टूक जवाब था,सल्ट की हार के लिए वही जिम्मेदार है जो वहां प्रत्याशी थे,जिन्होने प्रचार की कमान संभाल रखी थीे,जो बड़े चेहरे वहीं हार के जिम्मेदार हैं,लेकिन जब हमने उनसे सवाल किया कि आप स्टार प्रचार होने के बाद भी प्रचार में नहीं गए इसके क्या माईने है तो रणजीत रावत का कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने हाईकमान से कह दिया था कि रणजीत रावत का सल्ट में बहुत विरोध है तो फिर उन्होने सल्ट उपचुनाव से दूरी बनाना ही बेहतर समझा और पूरे चुनाव से दूरी बनाई रखी,हाईकमान ने उन्हे स्टार प्रचार बनाया इसके लिए वह पार्टी हाईकमान का आभार व्यक्त करते है। रणजीत रावत कहते है कि 2017 के विधान सभा चुनाव में वह रामनगर से चुनाव लड़ रहें थे,इसके बाद भी वह सल्ट में प्रचार करने भी गए और वोट डालने भी गए। और इस बार वह न तो प्रचार करने गए और न ही वोट डालने गए है। यहां तक आप समझ गए होंगे कि रणजीत रावत को हार की सबसे बड़ी वजह माना जा क्यों जा रहा है,क्योंकि सल्ट रणजीत रावत का गढ़ है। वह प्रचार में न गए तो जो जीत का अंतर है वह पिछली बार से ज्यादा है इसकी प्रमुख वजह भी यही है। लेकिन सवाल ये उठाता है कि जब कांग्र्रेस का एक – एक नेता और कार्यकर्ता सल्ट में जीत की लड़ाई लड़ रहा था तो फिर जीत के लिए सल्ट के पूर्व विधायक की अनदेखी क्यों कि गई,वह भी कांग्रेस प्रत्याशी के द्धारा जिन्होने हाईकमान को यहां तक कह दिया कि रणजीत रावत का सल्ट में भारी विरोध है। इसका मतलब साफ है कांग्रेस सल्ट में चुनाव हारी है तो वह किसी की वजह से नहीं आपसी गुटबाजी की वजह से हारी है,जो बयानों के जरिए भी झलकता है। जिस सल्ट में कांग्रेस के कई विधायक और पूर्व विधायक जीत के लिए वोट मांगते हुए नजर आ रहे थे,वहीं सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत रावत चुनाव से दूरी बनादे तो इसकी भी कोई बड़ी वजह है। लेकिन इतना साफ है कि कांग्रेस में 2022 से पहले गुटबाजी को दूर नहीं किया तो फिर विधानसभा चुनाव में जितनी मेहनत करलें हाथ के चुनाव चिन्ह पर वोट पड़ना बड़ा मुश्किल होगा। और सल्ट इसका उदाहरण है। अगर कांग्र्रेसी नेताओं में मनमुटाव एक दूसरे के लिए है तो उसे जीत के लिए भुलादेना चाहिए। न कि चुनाव हार कर उस मनमुटाव को खाईयों में बढ़ा देना चाहिए। जिसका खामिया लगातार पार्टी को भुगतना पड़ रहा है।  

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