Wednesday, May 21, 2025
उत्तराखंड से बड़ी खबर

भाजपा विधायक की मांग पर सीएम की घोषणा हुई पूरी,शासन ने बजट किया जारी,किलकिलेश्वर मंदिर का होगा सौंदर्यकरण

देहरादून। देवप्रयाग से भाजपा विधायक विनोद कंडारी की मांग पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की द्वारा की गई घोषणा पूरी होने की ओर अग्रसर हो चली है। देवप्रयाग विधानसभा के चौरास क्षेत्र में पढ़ने वाले ऐतिहासिक किलकिलेश्वर मंदिर के सौंदर्यकरण किए जाने की मांग विधायक विनोद कंडारी के द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की गई थी । जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हामी भरते हुए किलकिलेश्वर
मंदिर के सौंदर्यकरण की घोषणा की थी । जिस पर शासन के द्वारा बजट स्वीकृत कर दी गई है और अब जल्द ही मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो जाएगा। 79 लाख 50000 का बजट को लेकर स्वीकृत कर दिया गया है। जिसको लेकर देवप्रयाग से भाजपा विधायक विनोद कंडारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।

श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मन्दिर की तरह ही किलकिलेश्वर मन्दिर मठ की प्राचीनता और मान्यता पौराणिक है। केदारखण्ड पुराण से प्राप्त वर्णन के अनुसार महाभारत काल में पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति के लिये अर्जुन ने इन्द्रकील पर्वत पर तपस्या की थी। अर्जुन के पराक्रम की परीक्षा लेने के लिये भगवान शिव ने किरात (भील) का रूप धारण कर अर्जुन से युद्ध किया था। युद्ध के समय शिव के किरात रूपी गणों के किलकिलाने का स्वर चारों ओर गूंजने लगा। अत: यह स्थान किलकिलेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भागीरथी का एक नाम किराती था उसकी प्रमुख सहायक भिलंगना (भील-गंगा) और अलकनन्दा के मध्यवर्ती क्षेत्र में भील राज्य था और यह पूर्णतया संभव है कि उत्तराखण्ड आगमन में अर्जुन का संघर्ष सुअर का शिकार करते हुये भीलों से हुआ होगा। वर्तमान मन्दिर निश्चित रुप से विशाल मन्दिर है। गर्भगृह के तीन और प्रवेशद्वार है, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर। क्योंकि पश्चिम दिशा के प्रवेशद्वार के शीर्ष पर निर्माण शिलालेख लगा है अत: इसे ही मुख्य द्वार कहेंगें। मन्दिर में भैरवलिंग स्थापित हैं। मुख्य मन्दिर के अन्दर आठ इन्च ऊचें शिवलिंग के चारों तरफ़ लकड़ी के आठ खंभों पर काष्ठ का एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर बना है। मन्दिर के अन्दर गणेश श्री की ढाई फीट ऊंची चतुर्भुजी मूर्ति अति सुन्दर है। मन्दिर परिसर में ही पूर्व दिशा की ओर मुंह किये पूंछ को अग्रीव उठाये हुये एक उन्नत सिहं लगभग एक हजार वर्ष की प्राचीनता का स्मारक है।

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