सुधा पैन्यूली ने उत्तराखंड के शिक्षक समाज का नाम देश में किया रोशन,शिक्षा देने के साथ 4 महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए मिला राष्ट्रपति से सम्मान
देहरादून । कॉलसी स्थित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की शिक्षिका सुधा पैन्यूली को शिक्षक दिवस राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020 से नवाजा गया। कोरोना महामारी को देखते हुए वीडियो कॉन्फेंसिग के जरिए सभी शिक्षकों को राष्ट्रपति द्वारा समानित किया गया। सुधा पेनुली को एकलव्य के इतिहास में, पहली बार, राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। देहरादून कचहरी स्थित एनआईसी भवन में इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। उत्तराखंड में जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में उनकी यह उपलब्धि, सरकार के प्रयासों का एक प्रमाण है। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता लाने के लिए उनकी यह उपलब्धि, समस्त ईएमआरएस शिक्षकों को प्रेरित करेगी। वह स्कूल अंग्रेजी की शिक्षिका हैं और ज्यादतर सेवा प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में उन्होंने दी है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत अपनी स्थापना के बाद से, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के लिए विशेष गौरव की बात है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालस्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) प्रदान को करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र निर्णायक मंडल का गठन किया था। सुधा पैन्यूली को कठोर तीन चरणीय ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया के बाद 47 उत्कृष्ट शिक्षकों सूची में शामिल किया गया।
अवॉर्ड पाने के लिए खास मानकों पर सुधा पौन्यूली उतरी खैरा
एक शिक्षक के रूप में अधिकतर शिक्षक इसी बात पर अम्ल करते है,कि वह छात्रों को अच्छी शिक्षा प्रदान करें, लेकिन सुधा पैन्यूली उन शिक्षिकाओं में एक है,जिन्होंने छात्रों को बेहतर शिक्षिका के साथ एक ऐसे भूमिका का निर्वहन किया है,जो प्रकृति के साथ छात्रों को सामाजिक और मानसिक, लशिष्टाचार और संस्कृति के लिए छात्रों को प्रेरित किया है, जिसके लिए 4 खास वह उपलब्धि है जिसके लिए सुधा पैन्यूली ने राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया है।
पहला मानक पर्यावरण पर उतरी खरा
सुधा पैन्यूली ने कालसी में एकलव्य विद्यालय में छात्रों में पर्यावरण के प्रति एक अलख जगाने का काम किया है, जिसके तहत सुधा पैनली अपने विद्यालय परिसर में हर छात्र से उनके जन्मदिन पर एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। अब तक विद्यालय में छात्रों ने 200 से ज्यादा पेड़ लगाकर विद्यालय परिसर में बर्थडे गार्डन विकसित कर दिया है। जिसमें कई प्रजातियों के पौधे लग चुके हैं । जन्मदिन के अवसर पर छात्रों से पेड़ लगाने के साथ ही सुधा पैनली पेड़ की रेख देख का जिम्मा छात्रों पर छोड़ देती हैं । साथ ही जिस छात्र का पेड़ सबसे ज्यादा खिलता सवर्ता है उन 2 छात्रों को उनके परिजनों के साथ स्कूल सम्मानित भी एनुअल डे पर सम्मानित करता है। जिससे छात्रों में पेड़ लगाने और उस पेड़ को सजाने संवरने के लिए एक कंपटीशन की भावना भी जागृत होती है,और यही भावना से छात्र अपने लगाए पेड़ों को संजोते सँवारते हैं,और नतीजा सबके सामने है कि आज एकलव्य विद्यालय कालसी में बर्थडे गार्डन विकसित हो चुका है।
स्काउट गाइड लाइन के लिए भी मिला सम्मान
एकलव्य विद्यालय की प्रधानाचार्य सुधा पैनली स्काउट गाइड लाइन की भी कैप्टन रह चुकी हैं और विद्यालय के छात्रों में उन्होंने स्काउट गाइड लाइन के वह गुरु भरे हैं जिसकी बदौलत इंटरनेशनल गाइडलाइन सोसाइटी ने एकलव्य विद्यालय कालसी को सम्मानित भी किया है।
थिएटर के लिए भी कालसी स्कूल बना प्रेरणा का केंद्र
अपने छात्र जीवन में ही कई छात्र अपनी प्रतिभा के साथ अपने हुनर को प्रदर्शित कर देते है, और सुधा पैनली कालसी एकलव्य विद्यालय में छात्रों में थिएटर के प्रति उनकी प्रतिभा को निखारने का काम कर रही है, यहां तक की एकलव्य विद्यालय की छात्र में सबसे अव्वल छात्र ने सीबीएसई बोर्ड की 12वीं परीक्षा में देहरादून रीजन में छठ वी रैंक बिना ट्यूशन के हासिल की है । जिससे स्कूल का नाम भी रोशन हुआ है,और थिएटर के प्रति छात्रों की प्रतिभा भी उजागर हुई है ।
ट्राइबल म्यूजियम की स्थापना
किसी भी राज्य के लिए उसकी संस्कृतिक धरोहर सबसे महत्वपूर्ण होती है, और उत्तराखंड के कालसी में स्थित एकलव्य विद्यालय में उत्तराखंड की वह सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहर ट्राईबल म्यूजियम के रूप में स्थापित हो चुकी है,जो शायद देश के किसी राज्य के स्कूल में स्थापित होंगे, 400 से ज्यादा ऐसे पुराने जमाने के समय उपयोग में लाने वाली वस्तुएं स्कूल परिसर में ट्राइबल म्यूजियम में स्थापित है,जो कभी उत्तराखंड के पुर्वज स्तेमाल करते थे,उनमे उत्तराखंड की तोल की माप के लिए शायर,पाथ,हुक़्क़ा,रोटाना,परेडा – रौडी,हाथ से संचालित चक्की जान्द्रू आदि मौजूद है,जिनको सायद आज उत्तराखंड की नई पीढ़ी भूल चूकी हो लेकिन कालसी के एकलव्य विद्यालय के छात्र उन वस्तुओं का बेहतर वर्णन आपके सामने कर देंगे जो उनके स्कूल में स्थापित है, और आज की पीढ़ी उनको पहचान भी ना पाए जो उनके पूर्वजों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते थे।
शिक्षा के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान भी जरूरी
शिक्षा मात्र एक ज्ञान अर्जित करने को ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि एक छात्र के लिए शिक्षा उसके सामाजिक जीवन के सर्वांगीण विकास के साथ अपनी संस्कृति, पर्यावरण और नैतिक शिक्षा को ग्रहण करना ही सच्ची और अच्छी शिक्षा माना जाता है। और उत्तराखंड के देहरादून जिले के कालसी के एकलव्य विद्यालय में छात्रों को यह शिक्षा उपलब्ध हो रही है जिसके लिए विद्यालय की प्रधानाचार्य सुधा पैनली को राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया गया है,सुधा पैन्यूली छात्रों को सांस्कृतिक सामाजिक पर्यावरण को संरक्षित करने के सुरक्षित करने के साथ ही वह ज्ञान प्रदान कर रही है जो एक छात्र के लिए बेहद जरूरी है।