उत्तराखंड में महिला उम्मीदवार न उतारने को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना,कांग्रेस का बीजेपी को दो टूक जवाब,जानिए उत्तराखंड में कब – कब मिला महिला उम्मीदवारों को टिकट

देहरादून। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बीच महिला वोट बैंक को साधने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जवानी जंग भी शुरू हो चली है,भाजपा जहां उत्तराखंड में कांग्रेस के द्वारा किसी भी महिला उम्मीदवार न उतरे जाने को लेकर सवाल खड़े कर रही है,तो वहीं कांग्रेस महिलाओं के प्रति भाजपा नेताओं नेताओं के द्वारा किए गए शोषण को लेकर सवाल खड़े कर रही है,लेकिन उत्तराखंड से भाजपा कांग्रेस ने कब-कब महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा,आप विस्तार से रिपोर्ट पढ़ सकते है।

 

 उत्तराखंड में महिला वोटरो का रोल विधानसभा चुनाव में जहां राजनीतिक दलों की सरकार बनाने के लिए हम होने लग गया है,तो वहीं लोकसभा चुनाव में 500 सीट जीतने की गारंटी का काम भी महिला वोट बैंक की बलबूते होने लग गया है, 2014 और 2019 इसका उदाहरण है,कि जब से महिला वोट प्रतिशत पुरुषों की तुलना में उत्तराखंड में बढ़ा है तब से भारतीय जनता पार्टी की 5 लोकसभा सीट भी आई है, लेकिन कांग्रेस के द्वारा पांच लोकसभा सीटों में से किसी भी एक सीट पर महिला उम्मीदवार न उतरे जाने को लेकर बीजेपी ने सवाल खड़े किए,लेकिन उत्तराखंड में इतिहास उठाकर देखें,तो कब-कब बीजेपी और कांग्रेस ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है ये भी जान लेते है। बात अगर भारतीय जनता पार्टी की करें तो 2012 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बनने के बाद टिहरी लोकसभा सीट खाली हुई थी जिस पर उपचुनाव हुआ और पहली बार लोकसभा उपचुनाव के जरिए भाजपा ने महिला उम्मीदवार माला राज्यालक्ष्मी शाह को बनाकर उतारा और खास बात यह है कि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद भी माला राजलक्ष्मी साह ने कांग्रेस उम्मीदवार साकेत बहुगुणा को चुनाव हार दिया, वही 2014, 19 और 22 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने महिला उम्मीदवार के रूप में माला राज्य लक्ष्मी शाह को मैदान में उतारा। वहीं राज्यसभा पहुंचने की उत्तराखंड से महिलाओं की बात अगर बीजेपी की ओर से करें तो 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन होने के बाद सुषमा स्वराज उत्तराखंड से पहली महिला राज्यसभा सांसद के रूप में राज्यसभा पहुंची वहीं उनके बाद कल्पना सैनी जो वर्तमान में भी सांसद है भाजपा ने उन्हें बीजेपी ने उत्तराखंड से राज्यसभा पहुंचा, कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के द्वारा राज्य बनने के बाद सबसे पहले मनोरमा डोबरियाल शर्मा को राज्यसभा भेजा, लेकिन मनोरमा डोबरियाल शर्मा का निधन होने की वजह से वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई, लोकसभा के चुनावी रण में यदि कांग्रेस की तरफ से महिला उम्मीदवारों की बात करें तो 2004 के लोकसभा चुनाव में पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतरा तो वही फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरिद्वार लोकसभा सीट से भी रेणुका रावत को मैदान में उतारा। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा उत्तराखंड से किसी भी महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारे जाने को लेकर भाजपा की राष्ट्रीय महिला मोर्चा की महामंत्री दीप्ति रावत और भाजपा राष्ट्रीय युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष नेहा जोशी कांग्रेस की नियत पर सवाल उठाते हुए महिलाओं के अपमान की बात करने का आरोप कांग्रेस पर लगा रही है।

कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार

बीजेपी के द्वारा महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारे जाने को लेकर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया बीजेपी पर आई है कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा जोशी का कहना है कि पहला सवाल तो यह है कि यदि अगर भाजपा माला राजलक्ष्मी शाह को ही टिकट देकर महिलाओं को सम्मान देने की बात कर रही है तो पहले भाजपा को यह बताना चाहिए कि क्या माल राजलक्ष्मी शाह के अलावा भाजपा में कोई और महिला टिकट के काबिल नहीं है और दूसरा यह अंकित भंडारी हत्याकांड के मामले में भाजपा नेताओं की चुप्पी के पीछे क्या राज है, साथ ही भाजपा नेताओं पर शोषण के जो आरोप उत्तराखंड में लगे उसपर भाजपा को जवाब देना चाहिए।

किसको होगा फायदा इसपर रहेगी नजर

उत्तराखंड में महिलाओं को सम्मान और महिलाओं के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के बलबूते जहां भाजपा महिला वोट बैंक को साधने की फिराक में है तो वही कांग्रेस अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले के साथ भाजपा के कुछ नेताओं पर महिलाओं के द्वारा लगाए गए आरोपो को लेकर सवाल खड़े कर रही है ऐसे में देखना ही होगा कि आखिरकार महिला वोट बैंक को लेकर जो सियासत बीजेपी और कांग्रेस कर रही है वह वोट बैंक किसकी और ज्यादा जाता है।

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