हाईकोर्ट के द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति पर सीएम धामी का बयान,विधानसभा की प्रवर समिति के अधीन बताया मामला

देहरादून। उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि हाई कोर्ट के द्वारा भी सरकार को निर्देश दिए जाएंगे,कि प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति की जाए। नैनीताल हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं। जिसके बाद उत्तराखंड के सियासी गलियारों में भी चर्चाओं का बाजार गर्म हो चला है,कि क्या वास्तव में उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति होगी। क्योंकि पिछले लंबे समय से लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला अटका हुआ है,उत्तराखंड में भले ही लोकायुक्त की नियुक्ति वर्तमान समय में ना हो लेकिन लोकायुक्त कार्यालय में 24 कार्मिक कार्यरत हैं,जिनके वेतन पर लोकायुक्त की नियुक्ति न होने की वजह 29 करोड़ 73 लाख तक खर्च हो गए, हर साल 3 करोड़ रुपए लोकायुक्त दफ्तर के नाम पर खर्च हो रहे हैं,लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति न होने से भ्रष्टाचार को लेकर जो शिकायतें लोकायुक्त दफ्तर पहुंचती हैं उन पर सुनवाई नहीं होती है, ऐसा भी नहीं है कि लोकायुक्त की नियुक्ति न होने की वजह से लोकायुक्त दफ्तर भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें ना पहुंचती हूं, अब तक लोकायुक्त दफ्तर में एक हजार के करीब शिकायतें पहुंच चुकी जिन पर सुनवाई होना बाकी है. लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हाईकोर्ट के आदेश को लेकर कहना है कि न्यायालय का आदेश देखा जा रहा है चिराग जहां तक लोकायुक्त के गठन की बात है तो मामला विधानसभा में प्रवर समिति के अधीन क्योंकि लोकायुक्त को लेकर नए एक्ट का मसौदा तैयार होना था जोकि विधानसभा में प्रवर समिति के अधीन जैसे ही प्रवर समिति का निर्णय इसको लेकर आती है सरकार उस पर कार्रवाई करेगी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का साथी कहना है कि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के खिलाफ आगे बढ़ रही है जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में भ्रष्टाचार मुक्त भारत को लेकर आगे बढ़ रहे हैं उसी के तहत उत्तराखंड में भी भ्रष्टाचार को लेकर जो भी शिकायतें आती हैं उस पर कार्रवाई हो रही है.

 

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