कोरोना वायरस से पीड़ित IFS के दुर्व्यवहार से दून अस्पताल के डॉक्टर परेशान,उपचार में सहयोग न करने का आरोप,

देहरादून। कोरोना वायरस को मात देने को लेकर जहां पूरा विश्व लड़ रहा है,वही भारत भी कोरोना वायरस को मात देने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ रहा है । यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू के जरिए कोरोना वायरस को मात देने के लिए ऐसा प्लान बनाया जिससे कोरोना वायरस को मात दी जा सकती है । ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद कोरोना वायरस के खात्मे की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। जिस तरीके से देश की जनता ने प्रधानमंत्री की अपील का समर्थन किया और जनता कर्फ्यू का पूरा समर्थन किया उससे देशवासियों को भी उम्मीद बन गई है कि कोरोनावायरस को मात दी जा सकती है।

आईएफएस अफसर नही कर रहा सहयोग

उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड ने भी कोरोना वायरस को मात देने के लिए 31 मार्च तक प्रदेश को लॉक डाउन करने के निर्देश दे दिए है तो कोरोना वायरस को मात देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार पूरी तैयारियों के साथ लड़ रही है,अगर बात उत्तराखंड में मरीजों की करें तो 3 आईएफएस कोरोना वायरस के मरीज है जो विदेश दौरे से आये थे जिनमें कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है और 3 मरीजों का उपचार दून चल रहा है, लेकिन दून अस्पताल के डॉक्टर अनिल जोशी का कहना है, दून अस्पताल में चल रहे कोरोना वायरस के मरीज में एक आईएफएस के बर्ताव से अस्पताल परेशान क्योंकि कोरोना वायरस से पीड़ित एक आईएफएस उपचार में सहयोग नहीं कर रहा है, जबकि अस्पताल प्रशासन की ओर से सभी सुविधाएं मरीज को मुहैया कराई जा रही हैं । लेकिन मरीज का बर्ताव बिल्कुल भी सही नहीं है । कई तरीके के नखरे कोरोना वायरस पीड़ित दिखा रहा है । वह ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे वह कोरोना वायरस पीड़ित नहीं कोई स्टार हो, जबकि जोमोटो से खाना मंगा रहे हैं,जो कि बेहद शर्मनाक है । यह सारी बातें डॉ अनिल जोशी ने अपने फेसबुक वॉल पर भी लिखि है, वही अपणु उत्तराखंड से बात करते हुए अनिल जोशी ने कहा कि मरीज आइसोलेट वार्ड में होने के बावजूद भी मास्क नहीं पहन रहे हैं, जोकि उपचार करने वाले डॉक्टरों के लिए और स्टाफ के लिए बेहद खतरनाक है, डॉक्टरों के बार बार कहने पर भी कोरोना वायरस से पीड़ित आई एफ एस मास्क नहीं पहन रहा है।

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