लॉक डाउन ने कई छात्रों का साल किया खराब,लॉक से पहले आए अच्छे नम्बर,बाद के पेपर में हो गए फेल

देहरादून । उत्तराखंड बोर्ड की दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणामों के बाद अब समीक्षा भी होने लगी है, कि आखिर इस वर्ष का परीक्षा परिणाम किस तरह का रहा । लेकिन अन्य सालों की तुलना में इस बार बेशक परीक्षा परिणाम में वृद्धि हुई हो, लेकिन चर्चा का जो मुख्य बिंदु शिक्षकों के बीच परीक्षा परिणाम को लेकर है। वह लॉक डाउन के बाद हुए मुख्य विषयों के परिणाम को लेकर है। जिसने सबको चौका दिया है । शिक्षकों के बीच इस बात को लेकर गहन चर्चा भी हो रही है, कि आखिर लॉकडाउन के बाद जो मुख्य विषयों के पेपर दसवीं और बारहवीं के हुए हैं, उसमें कई छात्रों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है,खासकर बात दसवीं के गणित के पेपर की करें तो दसवीं में सबसे ज्यादा फेल होने का आंकड़ा गणित विषय का ही बताया जा रहा है। जो कि परीक्षा लॉकडाउन के बाद हुई थी। वही 12 वीं की बाद करें तो लॉक डाउन के बाद हुए भूगोल विषय और बायलॉजी के परीक्षा परिणाम में फेल होने के प्रतिशत ने सबको चौका दिया है । शिक्षकों का कहना है कि उनकी स्कूलों का परीक्षा परिणाम की तस्वीर लॉक डाउन के बाद हुए पेपरों ने बदली दी है। हाई स्कूल के परीक्षा परिणाम को लेकर कई शिक्षकों का कहना है, कि जिन बच्चों के लॉकडाउन के पहले हुए अन्य विषयों में अच्छे नम्बर आए है, उनके लॉकडाउन के बाद गणित के विषय में कई छात्रों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है जोकि चिंता का विषय है । लॉकडाउन से पहले हुए विषयों में जहां छात्रों का प्रदर्शन एवरेज 50, 60 से 70% तक था, वह गणित विषय में गिरकर काफी नीचे पहुंच गया। ठीक उसी तरह इंटरमीडिएट में भूगोल और बायोलॉजी के विषय के पेपर जो लॉकडाउन के बाद हुई उसके परीक्षा परिणाम कई छात्रों के लिए निराशाजनक आए हैं और वह फेल भी हुए हैं । खैर ये तो गहन समीक्षा के बाद ही पता चल पाएगा कि जिन छात्रों के लॉक डाउन से पहले हुए पेपर में अच्छे नम्बर आए है उनके नम्बर लॉक डाउन के बाद हुए पेपरों में कम क्यों आये।

पेपर को लेकर असमंजस में रहे छात्र

लेकिन कई शिक्षकों का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड ने जिस तरह बचे हुई पेपरों को न कराने का निर्णय लिया । उससे उत्तराखंड बोर्ड के छात्रों में भी यह संदेश गया,कि अब उनकी परीक्षाएं नहीं होंगे,और सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर उनको नंबर मिल जाएंगे । लेकिन उत्तराखंड बोर्ड ने पेपर कराएं जिससे छात्र पूरे मनोयोग के साथ और एकाग्रता के साथ वह तैयारी नहीं कर पाए और वह रिधम छात्रों का पेपर देने में नहीं बना जो लॉक डाउन से पहले पेपर देने को लेकर उनकी तैयारी का था । यह भी एक वजह हो सकती है कि छात्रों के उन महत्वपूर्ण विषयों में कम नंबर आए जिनकी की तैयारी व साल में सबसे ज्यादा करते हैं । लेकिन कई शिक्षक भी इसको लेकर हैरान है कि जिन बच्चों के अच्छे नम्बर लाने की सोच रहे थे उनके लाँकि डाउन के बाद हुए पेपरों में अच्छे नम्बर नही आए।

कंटेंटमेंट जोन के छात्रों को रहा फायदा

कुल मिलाकर लॉकडाउन के बाद हुए बोर्ड परीक्षाओं में सबसे ज्यादा अगर किसी का फायदा देखने को मिला है। तो वह कंटेनमेंट जोन के उन छात्रों का रहा है । जो बाद की परीक्षाएं नहीं दे पाए और उनको अन्य विषयों के परिणाम पर एवरेज मार्क दिए गए हैं । और उनके अच्छे नंबर इस वजह से आए हैं । अगर इसी तरह एवरेज मार्क बोर्ड परीक्षाएं लॉकडाउन के बाद आयोजित न किए जाने को लेकर दी जाती तो कई छात्र जो फेल हुए हैं उनके भी अच्छे नंबर उन विषय में आ जाते जिनमें वह फेल हो गए हैं ।

बोर्ड की सचिव का बायन

उत्तराखंड की कई शिक्षकों ने जब इस संबंध में हमसे बात की कि लॉक डाउन के बाद हुए पेपरों में कई छात्रों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है,और इसके पीछे कई वजह हो सकती है। कई शिक्षक तो फेल हुए छात्रों को फिर से मौका देने की बात कर रहे हैं, कि फेल हुए छात्रों को एक और मौका पास होने का दिया जाना चाहिए । वही कई शिक्षकों का कहना है कि किन कारणों से छात्रों के नंबर लॉक डाउन के बाद कम आए हैं । इसकी पड़ताल की जानी चाहिए। लेकिन इन सबके बीच उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर बोर्ड कि सचिव नीता तिवारी का कहना है कि किन वजह से लॉकडाउन के बाद छात्रों की कम नंबर आए हैं यह बताना मुश्किल है, क्योंकि छात्रों के जो नम्बर आए है, उन्ही के आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार किया गया है। यदि किसी छात्र को लगता है कि उसके कम नंबर आए हैं। तो वह उस विषय की कॉफी की प्रति के लिए आवेदन कर सकता है। जिससे उसको मालूम हो जाएगा कि उसके वास्तव में कितने नम्बर किस प्रश्न के उत्तर के दिए गए है। इससे छात्र का डाउट भी दूर हो जाएगा। वही कंटेंटमेंट जोन के उन छात्रों के लिए बोर्ड ने परीक्षा आयोजित करने का विकल्प दिया है, जिनको एवरेज मार्क दिए गए हैं और वह अपने एवरेज मार्क से खुश नहीं है, लेकिन यदि कोई परीक्षा कराने के लिए आवेदन करता है, तो बोर्ड उसके लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करेगा । लेकिन परीक्षा होने के बाद जितने नंबर छात्र परीक्षा में लेकर आएगा उसके वही नंबर मार्कशीट में जुड़ेंगे,जो वह परीक्षा में लेकर आया है । यदि एवरेज मार्क में किसी छात्र को ज्यादा नंबर मिले हैं और वह परीक्षा के लिए आवेदन करता और परीक्षा देने के बाद कम नंबर लेकर आता है तो वह कम नंबर ही उसके मार्कशीट में गिने जाएंगे।

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