राम दास अठावले की पार्टी ने उत्तराखंड में दी दस्तक,निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान

देहरादून। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) ने अन्य राज्यों में अपनी जड़ें जमाने के बाद अब उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तराखंड की राजनीति में अब तक कांग्रेस और बीजेपी दो ही मुख्य पार्टियां रही हैं। हालांकि, बीएसपी और उत्तराखंड क्रांति दल के भी विधायक रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा। अभी बीजेपी सत्ता में है। वक्त-वक्त पर यहां सामाजिक हलकों में यह भी बात उठती रही है कि उत्तराखंड को विकल्प की जरूरत है। इसी की तैयारियों में जुटी है रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले)। राज्य में अगले साल की शुरुआत में नगर निगम के चुनाव होने हैं, उसके बाद पंचायत चुनाव हैं। जिसको देखते हुए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) ने उत्तराखंड में नई टीम उतार कर जमीनीस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।

राजधानी देहरादून में हुई पत्रकार वार्ता में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के नवनियुक्त उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष सेठपाल सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम राज्य में भाजपा-कंाग्रेस का विकल्प बनेंगे। हम जल, जंगल, जमीन के साथ ही प्रमुखता के साथ मूलभूत समस्याओं व राज्यहितों की लड़ाई लड़ंेगे। हम शिक्षित, स्वस्थ्य, समृद्व, उत्तराखंड के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष सेठपाल सिंह ने कहा राज्य में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। युवाओं को रोजगार देने में सरकार का रवैया सुस्ती भरा है। भर्तियों में घोटाले के गुनहगार एक के बाद एक जमानत पर छूटते जा रहे हैं। यही कारण है कि आम जनता का सरकार से भरोसा उठ गया है। युवाओं की सरकार पर विश्वसनीयता कम हुई है। हमारी मांग है कि भर्ती प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाया जाये। भर्ती घोटाले के गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये।

उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष सेठपाल सिंह ने कहा हरिद्वार में पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए। राज्य में बड़ी संख्या में दलित, पिछडे, आदिवासी और भूमिहीन लोग हैं। जिनके लिए आवास की व्यवस्था की जानी चाहिए। सेठपाल सिंह ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना था कि 2022 तक सभी के पास अपना घर होना चाहिए लेकिन उत्तराखंड में सैकड़ों परिवार हैं जिनके पास अपना घर नहीं है। दलित, पिछडे, अल्पसंख्यको के लिये जो भी योजनाएं है वो जमीन पर प्रभावी नही हैं। जिला समाज कल्याण की योजनायें धरातल पर नहीं उतार पा रहे हैं।

अब उत्तराखंड की जनता रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) को कितना तवज्जो देती है यह नगर निगम चुनाव के वक्त ही पता चलेगा। लेकिन यह साफ है कि यह पार्टी जितना आगे बढ़ेगी उसका भाजपा-कांग्रेस को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। उत्तराखंड में अपने पहले चुनाव में वह कितना असर डाल पाती है उससे इसका भी पता चलेगा कि राज्य में पार्टी के भविष्य की राह आसान होगी या मुश्किल।

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