सीएम के विभाग में पदोन्नति का खेल,जरनल – ओबीसी मोर्चा ने खड़े किए सवाल

देहरादून । उत्तराखंड की डबल इंजन की त्रिवेंद्र सरकार भले ही लाख दावे करें कि उत्तराखंड में जीरो टॉयरल सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है,लेकिन कुछ मामले ऐसे हैं जिनसे त्रिवेंद्र सरकार के पारदर्शीता पर सवाल उठते है,ऐसा ही एक मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विभाग खाद्य नागरिक आपूर्ति में देखने को मिला जहाँ एक अधिकारी को नियम विरुद्ध पदोन्नति का लाभ दिया गया है,जिस दिन पदोन्नति का लाभ दिया गया उसी दिन अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो गया । यानी अधिकारी को पदोन्नति देकर बढ़ी हुई पेंशन का लाभ और रिटायमेंट के दिन बड़े पद से रिटायरमेंट का तमका दे दिया गया। हालांकि पदोन्नति देना गलत नही है अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी प्रदेश में सेवा शर्तों के साथ पदोन्नति पा रहा है । लेकिन प्रमोशन के लाभ बिना मानकों के मीले तो इस पर सवाल उठना लाजमी है कि एक अधिकारी पर सरकार क्यो मेहरबान है,दसअसल 30 अप्रैल यानी कल नरेश चंद सेमवाल को सरकार ने सेवानिवृत्त होने के दिन पदोन्नति दे दी लेकिन पदोन्नती शिथिलता के आधार पर दे दी,जिस पर सवाल उठ रहे है कि जब पूर्वती सरकार ने पदोन्नति में शिथिलता पर रोक लगाई है तो फिर बिना रोक रोक हटाएं कैसे प्रदेश में केवल एक अधिकारी के लिए नियम बदल दिया गया ।

जरनल ओबीसी कर्मचारी संगठन ने दर्ज किया विरोध

एक अधिकारी को शिथिलता देकर प्रमोशन का लाभ दिए जाने पर जरनल ओबीसी कर्मचारी ने विरोध दर्ज मिया है। जरनल ओबीसी कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि सरकार ने एक तरफ शिथिलता देकर पदोन्नति पर रोक लगा रखी है दूसरी तरफ एक अधिकारी के लिए नियम बदल दिया । जबकि जरनल ओबीसी कर्मचारी संगठन लम्बे समय से मांग कर रहा है कि यदि यदि शिथिलता प्रमोशन में बदलनी है तो उसका लाभ कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए न कि केवल एक अधिकारी के लिए । इस लिए वह सरकार से मांग करते है कि एक अधिकारी के लिए नही बल्कि उन सभी कर्मचारियों को भी प्रमोशन में शिथिलता का लाभ देना चाहिए जो इसके दायरे में आ रहे है।

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