उत्तराखंड के युवा प्रधान ने रखी सरकार के सामने बड़ी मांग,कोरोना योद्धाओं में हो गिनती, प्रधानों का भी किया जाए बीमा

देहरादून । कोविड 19 कोरोना महामारी के लॉकडाउन 3 में सभी गॉवो में प्रवासियों का आगमन शुरू हो चुका है,जिनको क्वारन्टीन करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधानों को दी गयी है,प्रधानों को कोविड 19 निगरानी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है,वैसे भी 22मार्च से जबसे पीएम ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद के आह्वान पर पूरे देश मे लॉकडाउन जारी है तबसे यानी 25 मार्च से अभी तक सभी ग्राम प्रधान अपने अपने गॉव में मास्क वितरण, सेनेटाइजर करने से लेकर विभिन्न तरह के कोरोना संकट काल मे जनजागृति में लगे हैं,साथ ही जगह जगह फंसे अपने अपने गॉव के प्रवासियों की सूची शासन प्रशासन तक पहुंचाने, निराश्रित लोगों की सूची सहित गॉव के लोगों और प्रवासियों की तमाम समस्याओं को अपने स्तर से शासन,प्रशासन के समक्ष उठा रहे हैं।यदि उत्तराखंड के 12 जिलों के प्रधानों की बात की जाय तो अक्टूबर में निर्वाचित होने के बाद नवम्बर आखिरी सफ्ताह में कुछ प्रधानों ने शपथ ली,आधे से अधिक गॉवों में वार्ड सदस्यों की सीटें रिक्त रहने से सदस्यों के उपचुनाव के बाद लगभग जनवरी में अन्य प्रधानों का शपथ ग्रहण हुआ,फिर फरवरी में उप प्रधानों का चुनाव हुआ यानी प्रधान बनने के बाद लगभग अधिक समय चुनावी गहमागहमी में ही बीता,इस बीच कुछ प्रधानों द्वारा मनरेगा के कुछ पुराने कार्य शुरू किए गए तो इस वर्ष पहले भारी बर्फवारी और उसके बाद आजकल के दिनों में भी भारी बारिश और ओलावृष्टि में काम बाधित होता रहा,विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम की भारी मार विकास कार्यों पर भी पड़ी,अब जब प्रधान लोग कार्य करते नए प्लान के हिसाब से कुछ नई महत्वपूर्ण योजनाओं को मूर्त रूप देने हेतु कार्य करते तब तक कोरोना का संकटकाल पूरे विश्व मे फैल गया। आजकल कोरोना की त्रासदी में सभी प्रधानों को उत्तराखंड में प्रवासियों के क्वारन्टीन की बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है,प्रधानों के सामने ये एक बड़ी चुनौती है कि इस त्रासदी के दौर में दूर प्रदेशों से लौटे अपने ही लोगों को क्वारन्टीन करना,क्वारन्टीन करने का काम एक चुनौती पूर्ण कार्य है ,आसान नही होता अपनो को ही अपने ही गॉव में अपनों से अलग रखने को कहना,या अलग रखना,तमाम परेशानी और लोगों के विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाओं के बीच सभी प्रधान अपने अपने गॉव में क्वारन्टीन में लगे हैं, कुल मिलाकर प्रधानों को ये बड़ी जिम्मेदारी सरकार ने दी है,मैं चाहता हूँ कि इस महासंकट में जब सभी कोरोना वारियर्स का सरकार द्वारा इंश्योरेंस करवाया गया है तो जमीनी स्तर पर विभिन्न प्रदेशों से लौटने वाले हर व्यक्ति,हर परिवार को मिलने वाले और जमीनी कार्य को करने वाले सभी प्रधानों का भी सरकार इंश्योरेंस करें, क्योंकि जिस तरह विभिन्न स्थानों से कोरोना वारियर्स के ही संक्रमित होने की खबरे आ रही है,वो चिंताजनक है। उत्तराखंड सरकार को इस वर्ष चुने गए प्रधानों का इस वैश्विक बीमारी में जरूर जीवन बीमा करना चाहिए,क्योंकि समय की मार का किसी को कोई पता नही होता है,किसी ने कभी भी जीवन मे ऐसे संकटकाल की कल्पना तक नही की थी,अतः प्रधानों को उनके कार्यकलापों यानि विभिन्न तरह के लोगों से मिलने जुलने और लगातार जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए उनका इंश्योरेंस जरूर करना चाहिए।  डॉक्टर,पुलिस,नर्स,आशा,आंगनवाड़ी, राजस्व पुलिस के साथ साथ प्रधानगणो का भी कोरोना के इस संकटकाल में महत्वपूर्ण योगदान है सभी प्रधान इस महामारी के दौर में लगातार अच्छा कार्य कर रहे है अतः प्रधानों को भी कोरोना योद्धा में गिना जाय। उत्तराखंड में निर्वाचित होने के बाद लम्बे समय तक चुनावी गहमागहमी में रहने और अब कोरोना से लड़ने वाले प्रधानों की हौसला अफजाई  मुख्यमंत्री को करनी चाहिए,जिस तरह से आदरणीय प्रधानमंत्री ने देश के प्रधानों,सरपंचों आदि से बातचीत करके उनकी बातें सुनी उसी तरह की पहल मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत को भी अपने राज्य में करनी चाहिए,क्योंकि इस वक्त तमाम प्रधान ऐसे हैं जिन्हें पंचायत की विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियों को संचालित करने हेतु उन्हें विधिवत तरीके से चार्ज भी नही मिल सका है,चार्ज के नाम पर मुहर ही मिल सकी,जबकि अभी कई प्रधानों को बस्ते तक नही मिल सके हैं, मैं स्वयं ऐसा प्रधान हूँ, जिसको प्रधानी बस्ता अभी तक नही मिला,ऐसी स्थिति में यदि मुख्यमंत्री जी प्रधानों का हौसलाफजाई करें तो प्रधानों को उससे एक बड़ा बल मिलेगा,क्वारन्टीन के कार्य हेतु प्रधानों के तमाम लोगों से मिलने और उनकी व्यवस्था करने में सम्भावित जोखिमों को देखते हुए जरूर प्रधानों का भी कोरोना योद्धाओं की तरह बीमा किया जाना चाहिए। यह बात उत्तराखंड के युवा प्रधान चंद्रशेखर ने पैन्यूली ने कही है जो टिहरी जिले के प्रताप नगर ब्लॉक से प्रधान है। वास्तव में विचार इस बात पर विचार किया जाना चाहिए । क्योंकि इस समय वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधान को रोना योद्धा के रूप में भूमिका निभा रहे हैं । जो व्यवहारिक दिक्कतें प्रधानों के सामने है उन्हें सरकार को दूर किया जाना चाहिए।

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